लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी बनी है। यहां पर वरिष्ठ डॉक्टर की बजाय जूनियर गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। बदइंतजामी के चलते मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है, जबकि 32 सीनियर डॉक्टर ट्रॉमा के लिए यहां पर तैनात किए गए थे। काम के बोझ के चलते वरिष्ठ डॉक्टर वर्ष 2013 में धीरे-धीरे अपने विभागों में चले गये। इसके साथ ही 72 वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर भी ट्रॉमा सेंटर की ड¬ूटी से अलग होकर विभागों में अपना तबादला करा चुके हैं। इससे ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था चरमरा है। ट्रॉमा सेंटर से जिम्मेदार अधिकारियोंं ने बृहस्पतिवार को कुलपति से 106 डॉक्टरों को दोबारा वापस सेंटर भेजने की मांग की है। कुलपति ने भी अपनी हरी झंडी दे दी है।
ट्रॉमा सेंटर में प्रतिदिन लगभग 250 से तीन सौ मरीज भर्ती किये जाते हैं। वही करीब 400 से 500 तक मरीज इमरजेंसी में आते हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों के इलाज वर्क लोड सेंटर में दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में सीनियर व जूनियर रेजीडेंट काम कर रहे हेै उन पर वर्क लोड बहुत है। महत्वपूर्ण विभागों में तैनात डाक्टर वह 18 घंटे तक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अगर दस्तावेजों को देखा जाए तो वर्ष 2013 में तत्कालीन कुलपति डॉ. डीके गुप्ता ने ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को बेहतर सेवाएं देने के लिए 32 डॉक्टरों की भर्ती की थी आैर 72 सीनियर रेजीडेंट की तैनाती की जाती है।
यह सभी डॉक्टर आर्थोपैडिक, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी पीड्रियाटिक्स समेत अन्य विभागों में विशेषज्ञ पदों पर तैनात थे। अगर रिकार्ड को देखा जाए तो ट्रॉमा सेंटर में प्रत्येक दिन वरिष्ठ डॉक्टर की टीम संबंधित विभाग में आकर काम करती है, लेकिन ट्रामा सेंटर में ऐसा नहीं हो पा रहा है। प्रत्येक विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर व उनके रेजीडेंट की जिम्मेदारी ट्रॉमा मरीजों की होती है। वर्तमान में भी यही व्यवस्था दोबारा लागू की जा रही है।
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