लखनऊ। संजय गांधी पीजीआइ का रेडियोथेरेपी विभाग रीजनल कैंसर सेंटर है, लेकिन यहां रेडियोथेरेपी के लिए चार महीने बाद की डेट मिल रही है। विभाग में दो लीनियर एक्सीनेटर मशीन थी, वर्तमान में एक मशीन ही चल रही है।
दूसरे मशीन को हटा कर नई मशीन लगायी जा रही है। यह मशीन सितंबर 2018 से यह मशीन बंद कर दी गयी। जिस कमरे में यह मशीन लगीं है वहां से हटा कर नई मशीन लगाने का काम चल रहा है। बताया जाता है कि तकनीकी तौर पर सात महीने बाद मशीन शुरू नही पायी। मरीजों को थेरेपी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। मरीजों का कहना है कि मशीन बंद करने से विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया, जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं। विभाग का कहना है कि नई मशीन इसी महीने काम करना शुरू कर देगी तो वेटिंग में कमी आ जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक रेडियोथेरेपी 15 दिन के अंदर शुरू हो जानी चाहिए। देर होने पर कैंसर सेल बढ़ जाते है ऐसे में मरीज के ठीक होने की संभावना काफी घट जाती है। एक मशीन से सौ मरीजों का एक दिन में रेडियोथेरेपी संभव है। विभाग में सुबह आठ बजे रात आठ बजे तक लगातार थिरेपी दी जा रही है तब लगभग सौ मरीजों की थिरेपी संभव हो पा रही है। मेडिकल विवि और लोहिया संस्थान में तीन-तीन मशीन है, जिससे रेडियोथेरेपी दी जाती है। जिससे 200 से 250 मरीजों को एक संस्थान रोज रेडियोथेरेपी दे रहा है।
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