लखनऊ। अक्सर लोग कहते है कि उसने मेरा शोध चुरा लिया, वह प्रोजेक्ट मेरा था। अगर समय पर नियमानुसार पेंटेट व पंजीकरण कराया जाए तो कोई मेहनत व शोध बेकार नहीं जाता है। बल्कि मेक इन इंडिया बनाने में मदद करता है। यह जानकारी ट्रामा सर्जरी विभाग के प्रमुख व आयोजक डा. संदीप तिवारी ने किंंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में दी। कार्यशाला में वैज्ञानिक संस्थानों के वैज्ञानिक, डाक्टर, प्राविधिक क्षेत्र के बुद्धिजीवी भी उपस्थित थे। यह कार्यशाला ट्रामा सर्जरी विभाग व आईपीआर प्रमोशन एंड मैनेजमेंट सेल नयी दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया गया था।
डा. ऊषा राव ने कहा कि शोध कार्य तो बहुत हो रहे है, लेकिन इसको पेंटेट न कराने के कारण अक्सर दूसरे लोग इसका लाभ उठा लेते है। इस लिए शोध कार्य के साथ ही पेंटट व पंजीकरण भी कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग कहते है कि पेंटट कराने में लम्बा समय रखता है लेकिन ऐसा नही हंै। अब तीन से चार महीने में सभी प्रपत्र सही होने पर पेंटेट हो जाता है।
गुड़गाव से आयी रंजना सिंह ने बताया कि शोध कार्य के बाद शोध प्रकाशित तो हो जाता है, लेकिन पेंटट नही होता है। उन्होंने बताया कि मात्र तीन प्रतिशत शोध कार्य पेंटट होता है। अक्सर लोग पेंटट के लिए एम्लीकेशन देने के बाद भूल जाते है। उन्होंने कहा कि शोध के साथ पूरा प्रोजेक्ट, डिजाइन को पंजीकरण कराना चाहिए। कार्यशाला में आयोजक डा. संदीप तिवारी ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में लगातार शोध हो रहे है।
कई गंभीर बीमारियों के इलाज की खोज हो चुकी है पर उसका पेंटट व कार्मशियल न होने के कारण दबा हुआ है। उन्होंने बताया कि पेंटेट न होने के बाद ही लोग कहते है उसने मेरा वर्क चोरी कर लिया है। कार्यशाला में केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कहा कि शोध कार्य के साथ ही पेंटेट होना भी आवश्यक है, तभी मेक इन इंडिया में सफलता मिलेगी। कार्यशाला में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डा. राजीव लोचन, प्रशांत जायसवाल सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थिति थे।
स्वास्थ्य हो या अन्य कोई क्षेत्र सभी जगह शोध कार्य को बढ़ावा दिया गया है आैर शोध कार्य हो भी रहे है, लेकिन अभी शोध कार्य का पंजीकरण व पेंटेट कराने के लिए जागरूकता नही आयी है। यह जानकारी सहायक नियंत्रक पेंटेट आैर डिजाइन डा. ऊषा राव ने दी।