लखनऊ। इंदिरानगर के निजी हॉस्पिटल एंड मेडिकल सेंटर में इलाज के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने प्रबंधन पर बकाया बिल भुगतान किये दोनों का शव न देने का आरोप लगाया। आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जम कर बवाल मचा दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह परिजनों को शांत कराया।
हरदोई निवासी कांति (21) को रविवार को प्रसव पीड़ा होने पर पति मोहित कुमार व अन्य परिजनों ने गर्भवती को लेकर स्थानीय अस्पताल भर्ती कराने पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद प्रसूता की हालत गंभीर बतायी। मरीज को लखनऊ के बड़े अस्पताल में ले जाने का परामर्श दिया। सहानुभूति दिखाते हुए परिजनों को एम्बुलेंस तक दिलवा दिया।
दलालों की एम्बुलेंस के चंगुल में फंसे परिजन गर्भवती को लेकर इंदिरानगर के सर्वोदय नगर स्थित लिबर्टी कॉलोनी पार्क के सामने सदभावना हॉस्पिटल एंड मेडिकल सेंटर पहुंच गये। यहां पर इमरजेंसी में डॉक्टरों ने मरीज की जांच पड़ताल की आैर हालात गंभीर बताते हुए तुरंत सर्जरी की सलाह दी।
पति मोहित का आरोप है कि डॉक्टरों ने पहले तो नार्मल प्रसव कराने की बात कही थी। फिर भर्ती के बाद बिना किसी कुछ बताये सर्जरी कर दिया। प्रसव के बाद मरीज कांति की तबीयत बिगड़ने लगी तो आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। इलाज के दौरान सोमवार को प्रसूता की मौत हो गयी। रिश्तेदार अमित का आरोप है कि सर्जरी से प्रसव कराने के बाद पत्नी से परिवार के किसी भी सदस्य को मिलने नहीं दिया गया। उन्होंने सर्जरी के दौरान ही कांति की मौत की संभावना बतायी है।
पति का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज पर लगभग 94880 रुपये का बिल थमा दिया। जब परिजनों ने इतना ज्यादा बिल चुकाने में असमर्थता जाहिर की, तो अस्पताल प्रशासन ने बिना बकाया चुकाए शव देने से मनाकर दिया। शव न देने की बात सुनकर परिजनों का आक्रोशित हो गये आैर वही बवाल शुरू कर दिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल प्रशासन ने संशोधित बिल 59100 कर दिया। लगभग 50 हजार रुपये जमा करने के बाद जच्चा-बच्चा का शव लेकर घर ले गए।