लखनऊ। प्रदेश भर में संविदा और आउटसोर्सिंग से कार्यरत चार हजार नर्सों को नौ माह से वेतन नहीं मिला है। साथ ही उन्हें नौकरी से भी हटा दिया गया है। शासन की इस नीति को गलत ठहराते हुए आउटसोर्सिंग संविदा संघ ने विरोध जताया है। संघ ने इस संबंध में श्रम मंत्री व श्रमायुक्त को पत्र देकर न्याय की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों का आरोप है कि वेतन न देकर नौकरी से अचानक हटा देने से निजी कंपनी और शासन के अफसर करोड़ों रुपए का घपला करने की कोशिश में हैं। करोड़ों रुपए के घपले की आशंका संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के मीडिया प्रभारी सच्चितानंद मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में आउटसोर्सिंग से अगस्त 2018 में 4031 स्टाफ नर्स की नियुक्ति सेवा प्रदाता फर्म अवनि परिधि प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई थी।
लगातार नौ माह तक काम करने के बाद भी नर्सों को वेतन भुगतान नहीं किया गया। वेतन बकाया होने के बाद भी कुछ कर्मचारियों को मार्च 2019 और अन्य नर्सों को जून में नौकरी से हटा दिया गया। आरोप है कि नौ माह का वेतन 22 हजार रुपए के हिसाब से करीब 79 करोड़ रुपए हो रहा है। इस रुपए का गबन करने की कोशिश की जा रही है। नौकरी पर रखने व वेतन की मांग संघ ने वेतन बकाया भुगतान और कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखने के लिए मु यमंत्री, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, श्रमायुक्त, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से मांग की है। कुछ जगह पर कर्मचारियों ने अनशन और भूख हड़ताल की तो कंपनी ने उन्हें पूरा वेतन दे दिया।
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