लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की आडिट रिपोर्ट में वेटिंलेटर की खरीद में गड़बड़ी पायी गयी थी। रिपोर्ट के आधार पर भले ही केजीएमयू के जिम्मेदार लोगों को आख्या देने के लिए कहा है। फिर भी अगर आडिट रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गयी, तो खरीद -फरोख्त कमेटी के लोगों पर गाज गिर सकती है। केजीएमयू में कुछ वर्षो पहले वेटिलेटर खरीदे गये थे। खरीद के वक्त कहा गया कि नियमों का पालन करते हुए उच्चस्तरीय वेंटिलेटर खरीद जा रहे है। उस वक्त कहा गया था कि पीजीआई व लोहिया संस्थान के वेटिंलेटर की खरीद तर्ज पर की जा रही है। जबकि खरीदे गये वेंटिलेटरों की आडिट की गयी तो पता चला कि बीस लाख रुपये का वेंटिलेटर 23 से चौबीस लाख रुपये में खरीदा गया था।
इसमें कोई खास नहीं था कि जोकि दो लाख रुपये की अधिकता को बता सके कि वेटिलेंटर को इन कारणों से अधिक रुपये में खरीदा गया है। बताया जाता है कि कुछ महीने की गयी आडिट में वेंटिलेटर खरीद की गड़बड़ी पायी गयी आैर आडिट रिपोर्ट में इसकी आपत्ति दर्ज कर दी गयी। इस गड़बड़ी का मामला उजागर होने पर केजीएमयू प्रशासन में हड़कम्प मच गया। रिपोर्ट की जवाबी रिपोर्ट बनाने के लिए बनी हुई है। बताते है कि इस रिपोर्ट के आधार पर केजीएमयू प्रशासन से शासन ने आख्या मांग ली है। बताया जाता है कि केजीएमयू भले ही आख्या कुछ भी दे, परन्तु अगर रिपोर्ट सही साबित हुई तो कई वेंटिलेटर खरीद से जुड़े जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। वेंटिलेटर खरीद से जुडे लोगों में हडकम्प हुआ है आैर मामले की लीपापोती में लग गया है।
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