लखनऊ। एक बार फिर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने का दावा खोखला साबित होगा। नेफ्रोलॉजी के डा. मनमीत के केजीएमयू से जाने के बाद वर्चस्व की जंग में अभी किडनी प्रत्यारोपण के लिए विशेषज्ञों का चयन नहीं हो पाया है, जबकि बताया जाता है कि दो विशेषज्ञ है जोकि किडनी प्रत्यारोपण का प्रशिक्षण प्राप्त है।
केजीएमयू में पिछले कई वर्षो से किडनी प्रत्यारोपण शुरू किये जाने का दावा किया जा रहा है। प्रत्यारोपण शुरू करने की कवायद में तीन किडनी प्रत्यारोपण किये गये। इनमें एक किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा, जबकि दो किडनी प्रत्यारोपण फेल हो गये। इसके बाद अब तक लगभग 36 किडनी 18 लिवर व 36 कार्निया को निकालकर प्रत्यारोपण के लिए दिया जा चुका है। इनमें मात्र कार्निया ही केजीएमयू के आई बैंक में गयी,जब कि लिवर को दिल्ली स्थित चिकित्सा संस्थानों में ग्रीन कॉरीडोर बना कर भेजा चुका है। इसमें किडनी पीजीआई को भेजी गयी आैर कई बार दिल्ली के चिकित्सा संस्थान भेजा चुका है। यहां अंग प्रत्यारोपण विभाग ही अलग बना दिया गया।
इसमें आईसीयू बनाने की मांग की गयी। जिसको पूरा करने का दावा किया जा रहा है, परन्तु अभी तक इसे संचालित नहीं किया गया है। इसके अलावा किडनी प्रत्यारोपण के लिए सक्रिय डा. मनमीत के अचानक केजीएमयू छोड़े जाने के बाद इस पर विराम लग गया। बताया जाता है कि यूरोलॉजी विभाग ने इसको करने के लिए मांगा था, लेकिन केजीएमयू ने इस प्रस्ताव को टाल दिया। चर्चा है कि यूरोलॉजी में दो विशेषज्ञ किडनी प्रत्यारोपण का प्रशिक्षण प्राप्त है, परन्तु कुछ वरिष्ठ विशेषज्ञ डाक्टरों में वर्चस्व की जंग में कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।
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