लखनऊ। कोरोना संक्रमण के बाद अब टोमैटो फ्लू ने स्वास्थ्य विभाग से लेकर आम लोगो की नींद उड़ा दी है। केरल, उड़ीसा और तमिलनाडु के बाद अब राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों के बच्चों में भी टोमेटो फ्लू के केस मिल रहे हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट हो गया है।
दो दिन पहले पीजीआई की ओपीडी में बारह केस टोमेटो फ्लू के लक्षण वाले बच्चें इलाज के लिए पहंुचे थे। इनका लक्षणों के आधार पर इलाज किया गया। टोमेटो फ्लू की जांच महंगी होने के कारण किसी ने नहीं करायी थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि टोमेटो फ्लू से पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। यह फ्लू छोटे बच्चों को चपेट में लेता है। इस लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि बलरामपुर अस्पताल, लोहिया संस्थान, सिविल अस्पताल , रानी लक्ष्मीबाई के साथ ही सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले बुखार के मरीजों का गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि टोमैटो फ्लू का खतरा छोटे बच्चों में अधिक होता है। मेडिकल टर्मिनोलाजी में टोमैटो फ्लू एक तरह की माउथ एंड हैंड डिजीज है यानी कि हाथ-पैर और मुंह की बीमारी है। इसमें मरीज की त्वचा पर लाल निशान के साथ बड़े दाने निकल आते हैं। लाल फफोले से अक्सर पानी निकलता है। इस कारण मरीज को दर्द होता है। इस बीमारी से मरीज को जान का खतरा ज्यादा नहीं होता है, फिर भी सावधान रहने की आवश्यकता होती है। यह संक्रामक रोग है। इसमें मरीज को थकान, मितली, उल्टी, दस्त, बुखार, पानी की कमी, जोड़ों की सूजन, शरीर में दर्द और सामान्य इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
पीजीआई की बाल रोग विभाग की डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि टोमैटो फ्लू से घबराने की आवश्यकता नहीं है। सावधान रहने की आवश्यकता है। यह डिजीज जानलेवा नहीं हैं। इस तरह के संक्रमित डिजीज प्रति वर्ष आते रहते है। इससे सावधान रहने की आवश्यकता है। इससे बचाव के लिए भी कोरोना संक्रमण जैसा प्रोटोकाल ही पालन करना है।
लोगों को चाहिए कि आधें घंटे के अंतराल पर लगभग 50 सेकंड तक अपने हाथ धोना चाहिए। इसके अलावा नियमित मास्क पहनना चाहिए। खासकर भीड़ वाले स्थान पर जाने से पहले तो अवश्य पहन लें। शरीर में पानी के लेबल की कमी न होने दें। डॉ पियाली ने बताया कि अभी तक आने वाले मरीजों में 6-8 वर्ष तक बच्चे से टोमटो फ्लू के आये हैं। इनमें कुछ बच्चों को तेज बुखार 104 डिग्री तक भी आया है। सामान्यतः बच्चों में बुखार, खांसी और पेट दर्द जैसी समस्या ही देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि बच्चों में यह लक्षण दिखायी दे तो एक बार विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श चाहिए।