डेस्क। अगर प्रयासों में सफलता मिली तो मोबाइल चोरी होना बंद हो सकता है। क्योंकि इसे गायब करने या चोरी करने वालों को कोई लाभ नही हो सकता है। मोबाइल बस एक खिलौना बन कर रह जाएगा। जल्द ही एक नई व्यवस्था लाने की तैयारी की जा रही है जोकि चुराये गये या गायब हुए मोबाइल फोन पर सभी प्रकार सेवाओं पर विराम लगा देगी। यह व्यवस्था सिम निकाल देने या आईएमईआई में छेड़छाड़ करने के बाद भी सभी नेटवर्क पर काम करेगी।
सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल को इस नई प्रणाली सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) के लिये साफ्टवेयर तथा क्रियान्वयन के तौर-तरीके के विकास की जिम्मेदारी दी गयी थी। इस प्रयोग को कंपनी को अपने पुणे केंद्र से महाराष्ट्र में छह महीने तक इसका पायलट परीक्षण भी करेगी।
एक आधिकारिक दस्तावेज में बताया गया है कि सीईआईआर का मकसद नकली मोबाइल फोन की संख्या में कमी लाना तथा चोरी को हतोत्साहित करना है। इस योजना के अनुसार सीईआईआर प्रणाली आईएमईआई डाटाबेस को सभी मोबाइल आपरेटरों के साथ जोड़ेगी। दस्तावेज के अनुसार सीईआईआर काली सूची में डाले गये मोबाइल टर्मिनल को सभी नेटवर्क आपरेटरों के बीच साझा करने के लिये के लिये केंद्रीय प्रणाली के रूप में काम करता है ताकि उक्त श्रेणी में एक नेटवर्क में रखे गये उपकरण दूसरे में काम नहीं करें। यह तब भी होगा जब सिम कार्ड बदल दिया जाए।
जब मोबाइल फोन गायब होता है, संबंधित व्यक्ति को हैंडसेट का पता लगाने के लिये आईएमईआई संख्या बताना होगा।
कहा गया है कि मोबाइल फोन की चोरी केवल वित्तीय नुकसान नहीं है बल्कि नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है।
गायब या, चुराये गये या नकली हैंडसेट के आईएमईआई को सीईआईआर की सूचना दी जाएगी। दूरसंचार विभाग ने वैसे तो दूरसंचार परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले मोबाइल फोन को सेवा उपलब्ध कराने से मना किया है। लेकिन कंपनियों को नकली आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में दिक्कत आती है। सीईआईआर परिचालकों को फर्जी आईएमईआई संख्या वाले हैंडसेट की पहचान में भी मदद करेगा। दूरसंचार विभाग नियमों को भी अधिसूचित करने की तैयारी में है जिसमें आईएमईआई संख्या में छेड़छाड़ दंडनीय अपराध होगा। इसमें तीन साल तक की जेल हो सकती है।