हार्ट अटैक से पहले यह जांच जरूरी, बचाव संभव है …

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बदली लाइफ स्टाइल से बढ़ रहे हार्ट अटैक
बढ़े कोलेस्ट्राल का 30- 35 वर्ष की उम्र तक पता नहीं चल सकता
डायबिटीज मरीज लिपिड प्रोफाइल कराना आवश्यक

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लखनऊ। अध्ययन के अनुसार 40 वर्ष से कम उम्र में 25 प्रतिशत लोगों में हार्ट अटैक हो रहा हैं। 50 वर्ष से कम उम्र के 50 प्रतिशत मरीजो की मौत हार्ट अटैक व कार्डियक की दूसरी बीमारी से हो रही है। कार्डियक की बीमारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण खान-पान व लाइफ स्टाइल है। इसमें सुधार लाकर बीमारी के खतरों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यह परामर्श किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ. अक्षय प्रधान ने दी।

डा. प्रधान सोमवार को होटल ताज में लिपिड एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हार्ट की बीमारियों से बचाव के लिए स्क्रीनिंग समय-समय पर कराते रहना चाहिए। इसके लिए 18 से 20 वर्ष की उम्र से स्क्रीनिंग करानी चाहिए। डा. अक्षय प्रधान ने बताया कि परिवार के किसी सदस्य की हार्ट अटैक से मृत्यु 40 वर्ष के अंदर हो चुकी हो, उनको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। अध्ययन के अनुसार परिवार में दो वर्ष के बच्चों में भी कार्डियक डिजीज बनने का खतरा रहता है।
डॉ. अक्षय प्रधान ने कहा कि पांच मिनट की जांच में हार्ट समेत दूसरी बीमारी के खतरों का पता लगा सकते हैं।

डॉक्टर के परामर्श पर लिपिड प्रोफाइल, शुगर, ब्लड प्रेशर की जांच कराना चाहिए। इससे पहले से ही बीमारी से बचाव कर सकते हैं। इन जांचों में पांच मिनट का समय लगता है। लिपिड प्रोफाइल की जांच रिपोर्ट दो से तीन घंटे में आ जाती है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज मरीजों में हार्ट डिजीज का खतरा अधिक बना रहता है। इसलिए डायबिटीज की पुष्टि होते ही मरीज को लिपिड प्रोफाइल की जांच करानी चाहिए।

डॉक्टर के परामर्श पर दवा भी शुरू करनी चाहिए, क्योंकि देखा गया है कि 70 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों की मृत्यु हार्ट अटैक से हो रही है। शेष 30 प्रतिशत डायबिटीज मरीज की मृत्यु अन्य दूसरी बीमारियों से होती है।
एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. रमन पुरी ने कहा कि हार्ट की बीमारी का बड़ा कारण लिपिड प्रोफाइल में गड़बड़ी होती है। दस वर्ष की उम्र से आर्टरी में कोलेस्ट्राल जमना शुरू हो जाता है। देखा गया है कि 30 से 35 वर्ष तक मरीज में लक्षण ही नजर नहीं आते हैं।

जांच में ट्राईगिलीसराइड, एलडीएल जैसे प्रोटीन बढ़े होते हैं। यही कारण है कि आज कल लोगों की कसरत या डांस करते समय अचानक सांसें थम रही हैं। क्योंकि अचानक मेहनत करने से हार्ट पर प्रेशर बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से मरीज की मृत्यु हो रही है। उन्होंने कहाकि नियमित व्यायाम करने से 50 प्रतिशत तक ट्राईगिलीसराइड पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इन मरीजों को दवा देने की आवश्यकता नहीं होती है।

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