लखनऊ । यह साझेदारी घर पर रक्तचाप की निगरानी के लिए सही उम्र (18 वर्ष) पर जागरूकता पैदा करने के लिए की गई पहल है। सही उम्र पर रक्तचाप की जांच शुरू करने से संबंधित दिशानिर्देशों की कमी के कारण जांच शुरू करने में उपेक्षा हुई है, जिसका नतीजा यह हुआ है कि कई लोग उच्च रक्तचाप और इसकी जटिलताओं की चपेट में आ गए हैं। इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए ग्लेनमार्क ने पूरे भारत में 94 हृदय रोग विशेषज्ञों के साथ चर्चा शुरू की, जिससे इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि रक्तचाप की जांच शुरू करने के लिए 18 वर्ष एक आदर्श उम्र है।
ग्लेनमार्क और ओमरॉन हेल्थकेयर इंडिया की इस पहल को “Take Charge @18” नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य उन रोगियों और देखभाल करने वालों को प्रोत्साहित करना है, जिनके पास यह इनले कार्ड आता है, ताकि वे 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के परिवार के कम से कम चार सदस्यों को अपने रक्तचाप की निगरानी शुरू करने और इसे अपनी सेहत की जरूरी देखभाल का हिस्सा बनाने के लिए संवेदनशील बना सकें।
इस जागरूकता अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए लगभग 92,000 हेल्थकेयर तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा। इस व्यापक दृष्टिकोण का उद्देश्य रक्तचाप की शीघ्र जांच को बढ़ावा देना और उच्च रक्तचाप जागरूकता को लेकर व्यापक प्रभाव कायम करना है।
आलोक मलिक ने कहा, ‘‘उच्च रक्तचाप चिकित्सा में अग्रणी होने के नाते हम सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं। ओमरॉन हेल्थकेयर इंडिया के साथ हमारा सहयोग उच्च रक्तचाप और प्रारंभिक रक्तचाप जांच के बारे में जागरूकता बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भारत में युवा वयस्कों में उच्च रक्तचाप की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है। देश में लगभग 10-30 प्रतिशत युवा वयस्क (40 वर्ष की आयु से कम) उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। साथ मिलकर, हमारा लक्ष्य है कि हम लोगों को कम उम्र से ही अपने स्वास्थ्य की सक्रिय रूप से रक्षा करने के लिए सशक्त बना सकें।
यदि नियमित रक्तचाप की निगरानी कम उम्र में ही शुरू कर दी जाए, तो इसका लोगों के समग्र स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। युवा भारतीयों में हार्ट अटैक के मामलों में हालिया वृद्धि एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। व्यापक उच्च रक्तचाप प्रबंधन और डेटा मॉनिटरिंग के बारे में जागरूकता निकट भविष्य में हृदय संबंधी ऐसीघटनाओं के प्रबंधन और रोकथाम में बहुत मददगार हो सकती है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक हालिया क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन के अनुसार, उच्च रक्तचाप की व्यापकता में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। 2014 में 20$ आयु वर्ग के लोगों में 29.8 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, जबकि वर्तमान दौर में यह समस्या 35.5 प्रतिशत लोगों तक पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में, यह प्रचलन और भी अधिक है, जो बढ़कर 40.7 प्रतिशत हो गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि भारत की आधी आबादी इस बात से अनजान है कि वे उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं। उम्रदराज लोगों की तुलना में युवा पीढ़ी में जागरूकता बहुत कम है। भारत ने इस मुद्दे से प्रभावी रूप से निपटने के अपने प्रयासों के तहत, 2025 तक 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में उच्च रक्तचाप (बीपी) के प्रसार में 25 प्रतिशत की सापेक्ष कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, लोग अगर अधिक जागरूक होंगे, तो वे प्रबंधन संबंधी रणनीतियों को ज्यादा प्रभावी तरीके से अपना सकेंगे।