लखनऊ। कोरोना काल में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत तैनात लगभग 5000 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी है। इनमें से लगभग एक सौ पचास कर्मचारियों ने बुधवार को डिप्टी सीएम ब्राजेश पाठक से अपने आवास पर अपनी पीड़ा कहने पहुंचे। सुबह पहुंचे कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम से अपनी पीड़ा बयान की। डिप्टी सीएम ने आश्वासन देते हुए कहा कि वह सम्बधित अधिकारियों से बात कर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
कोरोना काल में एनएचएम के तहत आउटसोर्सिंग कर्मचारी विभिन्न स्थानों पर तैनात किए गए थे। इसमें लैब टेक्नीशियन, लैब सहायक, जनरेटर चालक, वार्ड ब्वॉय, नर्सिंग व दूसरे श्रेणी के पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। बताया जाता है कि इन कर्मचारियों को दो से तीन महीने का सेवा विस्तार दिया जा रहा था, लेकिन एनएचएम की तरफ से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सेवा विस्तार नहीं दिया गया, लिहाजा 31 मार्च को सभी कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है।
बुधवार की सुबह प्रदेश भर से सैकड़ों कर्मचारी डिप्टी सीएम ब्राजेश पाठक के आवास पहुंचे। यहां पर उन्होंने डिप्टी सीएम से मुलाकाल करते हुए अपनी पीड़ा बयान की। यहां पर डिप्टी सीएम से आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारी चारबाग स्थित एनएचएम कार्यालय पहुंच गये। यहां पर अधिकारियों से मुलाकात की आैर ज्ञापन दिया। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के तहत पहुंचे कर्मचारियों ने कहा कि कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में कोरोना काल के दौरान अपना जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा किया हैं। वर्तमान में भी कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इन सभी को सही सम्मान देना चाहती है तो इनकी सेवाएं निरंतर जारी रखना चाहिये।
महामंत्री सच्चिता नन्द ने बताया कि कर्मचारी सोमवार से अपने-अपने जनपदों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे। एक हफ्ते के बाद भी कोई सुनवाई नही होती है तो लखनऊ के इको गार्डन में बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। क्योंकि अधिकारी लगातार स्वास्थ्य कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे है। जहां एक तरफ सरकार लाखों की संख्या में रोजगार देने की बात करती है वही बार-बार लोगों की नौकरी छीन कर बेरोजगार किया जा रहा है।