लखनऊ। टीबी उन्नमूलन के लिए वर्ष 2025 का लक्ष्य रखा गया है इस लक्ष्य को पाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका अहम है। यहां की जनसं या अधिक होने के साथ ही यहां टीबी रोगी भी अधिक है। इसके लिए डेंटल, आयुष व अन्य विधाओं के डॉक्टरों को भी इसमें शामिल करना होगा ताकि जल्द से जल्द लक्ष्य को हासिल किया जा सके। यह बात है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कही। वह यहां कलाम सेन्टर में पुनीरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम की 37वीं प्रदेश स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक व कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि डोर स्टेप पर इलाज की व्यवस्था करनी होगी, इसके लिए स्वास्थ्य केन्द्रों पर इलाज मुहैया कराना होगा ताकि मरीजों को इलाज में किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। उत्तर प्रदेश टास्क फोर्स केअध्यक्ष डा. सूर्यकांत ने कहा कि टीबी को समाप्त करने के लिए प्रदेश मुख्य भूमिका निभाने का कार्य करेगा क्योंकि यहां स े आए नतीजे पूरे देश के प्रभावित करेंगे।
डा सूर्यकांत ने बताया कि विश्व भर में टीबी रोग से पीड़ित मरीजों में से 27 प्रतिशत मरीज हमारे देश में हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह जि मेदारी बहुत बड़ी है लेकिन इसे पूरी मेहनत और लगन से निभाना होगा। इस अवसर पर स्टेट टास्क फोर्स, नार्थ जोन के अध्यक्ष डा ए के भारद्वाज ने हिमाचल प्रदेश सरकार का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए वित्तीय मदद करने के लिए आगे आना होगा। राष्ट्रीय टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन डा राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में टीबी रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या देश भर के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा है। फोर्स के वाइस चेयरमैन डा सुधीर चौधरी केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डा अजय वर्मा, डा दर्शन बजाज व डा मनीष सिंह आदि उपस्थित थे।
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