फार्मेसिस्ट दिवस की पूर्व संध्या पर
विश्व फार्मेसिस्ट दिवस कल 25 सितम्बर को ।
इस वर्ष की थीम –
“Transforming global health”
लखनऊ , वास्तव में फार्मेसिस्ट औषधियों का विशेषज्ञ होता है , लेकिन वैश्विक स्वास्थ्य के बदलते परिवेश में इस कोविड संक्रमण काल मे फार्मेसिस्टों ने ‘मास्टर की’ के रूप में अपने आप को प्रस्तुत किया है । इसलिए अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन ने इस वर्ष विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की थीम “Transforming global health” निर्धारित की है ।
फार्मेसिस्ट दिवस की पूर्व संध्या पर आज फार्मेसिस्टों और आम जनता के नाम संदेश प्रसारित करते हुए उत्तर प्रदेश फार्मेसी कॉउंसिल के पूर्व चेयरमैन और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों की ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट तीनों ही महत्वपूर्ण कार्यों में देश और प्रदेश का फार्मासिस्ट अपनी जान की परवाह किए बगैर लगा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र जो पूरे भारतवर्ष का लगभग 60% है, के साथ ही शहरी क्षेत्रों में टीमें बनाकर फार्मेसिस्ट मरीजों की ट्रेसिंग कर रहे हैं, और टेस्टिंग कर धनात्मक मरीजों की पहचान कर रहे हैं । सभी सर्वे टीम और टेस्टिंग टीम में फार्मेसिस्ट प्रमुख रूप से लगा हुआ है। इसके साथ ही लेवल वन से लेकर लेवल 5 तक के सभी कोविड-चिकित्सालयों तथा नानकोविड-चिकित्सालयों में औषधियों की आपूर्ति तथा मरीजों को औषधि देना व उनकी काउंसलिंग करने में फार्मेसिस्ट सेवारत है । साथ ही सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल के अनुसार होम आइसोलेट मरीजों को औषधियां वितरित करने के साथ लगातार उनके संपर्क में बने रहने और उन्हें आवश्यक सलाह देने हेतु आर आर टी टीमों के प्रमुख के रूप में फार्मेसिस्ट कार्य कर रहे हैं ।
वैश्विक बदलाव के दौर में फार्मेसिस्ट ने खुद को बहुउद्देश्यीय बनाते हुए बखूबी अपनी क्षमता, तकनीकी ज्ञान का प्रयोग जनहित में किया है ।
भारत वर्ष में लगभग कुल तेरह लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ फार्म डी की शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट हैं । फार्मेसी चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ होती है , औषधि की खोज से लेकर , निर्माण, भंडारण करने, वितरित करने की पूरी व्यवस्था एक तकनीकी व्यवस्था है, जो फार्मेसिस्ट द्वारा ही की जाती है । चिकित्सालयों में अभी तक भर्ती मरीजों के लिए व्यवहारिक रूप से फार्मेसिस्ट के पद सृजित नही हो रहे । जबकि यह अत्यंत आवश्यक है
ओपीडी में भी मानकों का पूरा पालन नही हो रहा । फार्मास्यूटिकल लैब नाम मात्र के हैं, औषधियों के निर्माणशालाओं में भी फार्मेसी प्रोफेशनल के स्थान पर अप्रशिक्षित लोगो से काम लिया जाता है । ड्रग की रेगुलेटरी बॉडी बहुत कमजोर है, मानव संसाधन कम हैं ।
जिसे मजबूत करने की आवश्यकता है ।
‘फार्मेसी’ लोगो के जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए इसे मजबूत किया जाना आवश्यक है ।
फार्मेसिस्टों को क्रूड ड्रग का अध्ययन भी कराया जाता है, शरीर क्रिया विज्ञान, फार्माकोलॉजी, विष विज्ञान, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी सहित फार्मास्युटिक्स, फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन फार्मेसिस्ट को कराया जाता है। औषधि की खोज से लेकर, उसके निर्माण,भंडारण, प्रयोग , कुप्रभाव, दवा को ग्रहण करने, उसके पाचन, प्रभाव और उत्सर्जन (ADME) की पूरी जानकारी फार्मेसिस्ट को होती है , इसलिए औषधियों के विशेषज्ञ के रूप में आज फार्मेसिस्ट, जनता को सेवा दे रहा है ।
आम जनता को औषधि की जानकारी फार्मेसिस्ट से ही लेनी चाहिए । जनता को पारिवारिक चिकित्सक की तरह पारिवारिक फार्मेसिस्ट भी रखना चाहिए जिसके पास आपकी पूरी जानकारी होगी ।
प्रदेश के उप केंद्रों और अस्पताल के वार्डो में फार्मेसिस्ट की नियुक्ति की जानी चाहिए ।
अध्यक्ष श्री सुनील यादव के साथ ही, महामंत्री अशोक कुमार, फीपो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के के सचान, डीपीए के अध्यक्ष संदीप बडोला, महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक, उपाध्यक्ष ओ पी सिंह, जिला अध्यक्ष एस एन सिंह, सचिव जी सी दुबे, वेटेनरी फार्मेसिस्ट एसो के अध्यक्ष पंकज शर्मा, महामंत्री शारिक हसन, आयुर्वेद फार्मेसिस्ट संघ के अध्यक्ष विद्याधर पाठक, महामंत्री आनंद सिंह, होम्योपैथ फार्मेसिस्ट एसो के अध्यक्ष हरि श्याम मिश्र, महामंत्री शिव प्रसाद, ईएसआई फार्मेसिस्ट एसो के अध्यक्ष उदय वीर सिंह यादव, कारागार फार्मेसिस्ट के अध्यक्ष आनंद मिश्रा, संविदा फार्मेसिस्ट संघ के अध्यक्ष प्रवीण यादव, जोनल कोऑर्डिनेटर सचिन यादव, स्टेट फार्मेसी कौंसिल के सदस्य अनिल प्रताप सिंह, सुभाष श्रीवास्तव, सुशील त्रिपाठी, वी पी सिंह आदि पदाधिकारियों ने
प्रदेश के सभी साथियों को शुभकामनाएं दी हैं ।
Key points
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*अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ फार्मेसिस्ट के स्थापना दिवस को फार्मेसिस्ट दिवस के रूप में पूरे विश्व मे 25 सितम्बर को मनाया जाता है ।
भारत मे 2013 में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया।
* उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में फार्मेसिस्टो की संख्या कम (1:2849)
* 100 बाह्य मरीज (OPD), और 50 बेड पर 1 फार्मेसिस्ट के मानक के अनुसार पदों की संख्या तिहाई है ।
विकसित देशों में फार्मेसी की नीति बनाने के लिये फार्मास्यूटिकल एडवाइजर की नियुक्ति होती है जबकि भारत और उत्तर प्रदेश में कोई एडवाइजर नही है । फार्मेसी की नीति अन्य लोगो द्वारा बनाई जाती है ।
* प्रत्येक 30 हजार की आबादी पर phc और 1 लाख की आवादी पर और हर ब्लॉक में chc होनी चाहिए । इसके अनुसार 7200 phc और 3572 chc होनी चाहिए जबकि इसके स्थान आधी संख्या में phc , chc स्थापित हैं । कुछ ब्लॉक में अभी chc बनी ही नही है ।
बहुत से विकसित देशों जैसे uk, us, ऑस्ट्रेलिया आदि में चिकित्सकों पर कार्य के दबाव को देखते हुए फार्मेसिस्ट को नुस्खा लिखने का कुछ अधिकार दिया गया है , भारत सरकार ने अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में इसे कहा है लेकिन लागू नही किया ।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फार्मेसिस्ट के केवल 2 पद का मानक है जबकि 24 घंटे संचालन हेतु कम से 5 की आवश्यकता है।
अभी तक ट्रामा सेंटर में फार्मेसिस्ट के पद सृजित नही हैं, अटैचमेंट से कार्य संचालित हो रहा है