स्मार्ट फोन बना रहा आशा संगिनियों को स्मार्ट

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लखनऊ – आशा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत समुदाय और स्वास्थ्य विभाग के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। 2014-15 में आशाओं के सुपरवाइजर के रूप में आशा संगिनियों का चयन किया गया। माताओं एवं बच्चों तक सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में आशा और आशा संगिनियाँ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं एवं मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार लाने में योगदान दे रही हैं। चूंकि आशा संगिनियों का चयन आशाओं के समूह में से किया गया था और पर्यवेक्षक की ये भूमिका उनके लिए बिलकुल नयी थी। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी कुछ विषयों, विधियों और स्वास्थ्य तंत्र पर उनकी क्षमता को सुदृढ़ करना बहुत आवश्यक था। इस उदेश्य के साथ प्रोजेक्ट रिमाइंड को शुरू किया गया।

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प्रोजेक्ट रिमाइंड के अंतर्गत, उत्तर प्रदेश एनएचएम के साथ सक्रिय रूप से कैथोलिक रिलीफ़ सर्विसेस(सीआरएस) स्थानीय क्रियान्वयन में सहयोगी संस्थाओं वात्सल्य, दिमागी इंक एवं सारथी डेवलेपमेंट फाउंडेशन के साथ आशाओं के सहयोग एवं पर्यवेक्षण को मजबूत करने के लिए बनाए गए मोबाइल एप्लिकेशन को विस्तारित कर रहा है। यह एप्लीकेशन आशा संगिनियाँ को मोबाइल फोन पर अपने अधीन आशा कार्यकर्ताओं के लाभार्थियों की कवरेज, आशाओं की क्रियाशीलता पर डाटा एकत्रित करना, आशाओं का सहयोग एवं पर्यवेक्षण करना, उनकी रिपोर्टिंग करना, आशाओं की शिकायतों का निवारण करना, माताओं एवं नवजात शिशु मृत्यु रिपोर्टिंग करना और आशा दवा किट ट्रेकिंग में मदद करता है।

स्वास्थ्य एवं पोषण मेनेजर, सीआरएस, डॉ. सतीश श्रीवास्तव बताते हैं कि आशा संगिनियाँ 10 पॉइंट्स पर काम करती हैं।ये पॉइंट्स हैं घर पर प्रसव के मामलों में जन्म के प्रथम दिन नवजात के घर का दौरा, नवजात देखभाल के लिए किए गए घर के दौरे, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस में भाग लेना / टीकाकारण में सहयोग देना, संस्थागत प्रसव में सहयोग देना, बाल्यावस्था में होने वाली बीमारियों, विशेषकर दस्त और निमोनिया का प्रबंधन , गृह भ्रमण के दौरान पोषण संबंधी सलाह देना, मलेरिया प्रभावित इलाकों में बुखार देखना/ स्लाइड बनाना, डॉट्स कार्यकर्ता के रूप काम करना, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण समिति की बैठक का आयोजन करना एवं भाग लेना, आईयूडी/महिला नसबंदी/पुरुष नसबंदी के सफल रेफेरल के मामले और /या खाने की गर्भनिरोधक गोलियां / कोंडोम उपलब्ध कराना।

सतीश बताते हैं कि पायलट फेस में लखनऊ में बक्शी का तालाब व इटौंजा ब्लॉक की 12 आशा संगिनियों व कौशांबी की 68 आशा संगिनियों के साथ ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। 2018 में एनएचएम द्वारा इसे उत्तर प्रदेश के अन्य 18 जिलों में शुरू किया गया। वर्तमान में लगभग 589 आशा संगिनियाँ इस मोबाइल एप का उपयोग कर लगभग 13,436 आशाओं का सहयोग व पर्यवेक्षण कर रही हैं।

आशा संगिनी रचना सिंह का कहना है कि जबसे हम मोबाइल पर काम कर रहे हैं हमें पेपर के काम से छुटकारा मिल गया है। जिन 10 पॉइंट्स पर हम काम कर रहे हैं उन्हें भूलते नहीं हैं। एक पॉइंट के बाद अगला पॉइंट आ जाता है | हर जगह डायरी लेकर नहीं घूमना पड़ता है। हमारा काम काफी आसान हो गया है।

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