शांतिकुंज स्थापना की स्वर्ण जयंती पर डाक टिकट जारी

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    डाक टिकट शांतिकंुज के कार्यों पर मोहर: डाॅ पण्ड्या
    अध्यात्म और विज्ञान के बीच प्रशंसनीय कार्य कर रहा है शांतिकंुज: श्री प्रसाद
    डाक टिकट जारी होना सनातन संस्कृति को बढावा देना है: तीरथ सिंह रावत

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    न्यूज । हरिद्वार स्थित विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान शांतिकंुज स्थापना की स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित एक सादा कार्यक्रम में भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा पांच रुपये का विमोचन किया गया। शांतिकंुज अपने स्थापना काल से ही परिवार, समाज व राष्ट्र के विकास के समर्पित है। यहां से चलने वाले विभिन्न रचनात्मक एवं सुधारात्मक कार्यों से हजारों युवाओं ने समाज के मुख्य धारा से जुडकर भविष्य संवार रहे हैं। साथ ही विभिन्न सृजनात्मक एवं रचनात्मक गतिविधियों से लाखों, करोडो नर-नारी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष जुडे हैं।
    कार्यक्रम के अध्यक्ष अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डाॅ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि यह वर्ष शांतिकंुज स्थापना का पचासवां वर्ष है। इस अवसर पर डाक टिकट का विमोचन होना शांतिकंुज के सृजनात्मक एवं रचनात्मक कार्यों पर सरकार का मोहर लगना जैसा है। उन्होने कहा कि शांतिकंुज राजनैतिक पार्टी विशेष से उपर उठकर कार्य करने में विश्वास रखता है। विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वर्चुअल जुडे सूचना प्रसारण एवं कानून मंत्री, भारत सरकार रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पूज्य पं0श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने आजादी के समय में आध्यात्मिक चेतना को जगाने की दिशा में जबरदस्त काम किया है। साथ ही उन्होंने अध्यात्म और विज्ञान के बीच प्रशंसनीय कार्य किया है। इन दिनों श्रद्धेय डाॅ प्रणव पण्ड्या जी के नेतृत्व में शांतिकंुज आध्यात्मिक चेतना जगाने, पौधारोपण, गंगा, आपदा, युवा आदि के बीच विभिन्न रूपों में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। शांतिकंुज की स्वर्ण जयंती के अवसर पर डाक टिकट जारी करना एक सुखद संयोग है।
    मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि शांतिकंुज की स्थापना के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में डाक टिकट जारी होना सनातन संस्कृति को बढावा देना है। यह पूज्य पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रति हमारा सम्मान है। सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास को बढाने में शांतिकंुज द्वारा किया जा रहा सेवा कार्य है, सराहनीय है। आपके द्वार पहुंचा हरिद्वार, घर-घर यज्ञ घर-घर संस्कार जैसे विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जन सामान्य तक सनातन संस्कृति को पहुंचाने कार्य प्रशंसनीय है। इससे पूर्व देसंविवि के प्रतिकुलपति डाॅ चिन्मय पण्ड्या ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किये।
    इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने डाक टिकट का अनावरण किया। गायत्री परिवार प्रमुख डाॅ पण्ड्या ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान गायत्री परिवार की संरक्षिका शैलदीदी, कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव श्री बलदाउ देवांगन, डाक विभाग के निदेशक सुनील पाल, जिलाधिकारी सी रविशंकर, एसएसपी सहित जिला प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार आदि शामिल हैं।
    शांतिकंुज स्वर्ण जयंती पर डाक टिकट
    18 जनवरी 2021 को शांतिकंुज के युवा प्रतिनिधि डाॅ चिन्मय पण्ड्या ने केन्द्रीय मं़त्री रविशंकर प्रसाद से भेंट कर इस विषय पर चर्चा की थी। केन्द्रीय मंत्री गायत्री परिवार के 80 वर्षों के सृजनात्मक एवं रचनात्मक कार्यों से अवगत हो डाक टिकट जारी के करने के संबंध में तत्क्षण ही अनुमोदन कर दिया था।
    180 साल पुराना है डाक टिकट का इतिहास
    सबसे पहले इंग्लैण्ड में सन् 1840 में डाक टिकट का प्रचलन प्रारंभ हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे विश्व भर में डाक टिकट का प्रचलन बढा। भारत का पहला डाक टिकट भारतीय ध्वज के चित्र वाला सन 1947 में जारी हुआ था। डाक टिकट कुल 6 प्रकार के होते हैं। उत्तराखण्ड से संबंधित अब तक कुल 28 विभिन्न प्रकार के डाक टिकट जारी हो चुके हैं। इसमें राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, संस्थानों, पक्षी, फूल आदि शामिल हैं।

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