सांसों की डोर को दोबारा जोड़ दिया विशेषज्ञों के प्रयोग ने

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की ट्रामा वेटिंलेटर यूनिट( टीवीयू) आईसीयू की टीम ने ्तेजी से ब्रोनडेड की तरफ बढ़ रही महिला को नयी जिंदगी देने में कामयाबी प्राप्त कर ली  है। डॉक्टरों की टीम ने मरीज को जिंदगी की जंग जिताने के लिए लगातार संघर्ष करते हुए करीब तीन दिन तक लगातार अलग- अलग दवाओं देते हुए नया प्रयोग किया। उनका यह प्रयोग सफल हो गया और उसकी जान बच गयी। लगभग अब वह पूरी तह से ठीक है। उसका वेंटीलेटर से भी हट गया है।

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रायबरेली निवासी पद्मिनी सिंह (57) के लिवर में हाइट्रेटिक सिस्ट  फट गयी। इस कारण कई महत्वपूर्ण अंगों के काम करना बंद कर दिया था। भागकर परिजन स्थानीय निजी अस्पताल ले गए। वहां जान बचने की उम्मीद कम होते हुए परिजन एम्बुलेंस से मरीज को लेकर केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचे। यहां पर डाक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए  इमरजेंसी ओटी  सर्जरी करने का निर्णय लिया।  डा. संजीव कुमार ने दोनों फेफड़ों की सर्जरी कर दी, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। अब लगातार मरीज का  ब्लड प्रेशर कम होता जा रहा था। इस डाक्टरों ने मरीज को टीवीयू आईसीयू यूनिट में भर्ती किया गया। इस दौरान मरीज सांस नहीं ले पा रही थी आैर किडनी शॉक होने की वजह से पेशाब भी नहीं हो रही थी।

यहां की टीम ने एक बार तो हाथ खड़े कर दिया कि अब वह लोग कुछ नहीं कर सकते है। लेकिन फिर परिजनों से बात करके नया प्रयोग करने की तैयारी शुरू कर दी। मरीज की जान को बचाने के लिए टीम एक साथ उसकी हर पल की संासों पर नियंत्रण रखे थी। लगभग  24 घंटे बाद नये शोध के  लक्षण सकारात्मक दिखने लगने आैर  48 घंटा बीतते – बीतते फेफड़े ने काम करना शुरू कर दिया। आश्चर्य की बात तो यह थी कि  अलगे दिन मरीज को होश आ गया।

डा. संजीव के अनुसार मरीज का ब्लड प्रेशर एकदम निम्न स्तर पर पहुंचने और सांस नहीं लेने में भी दिक्कत आ रही थी। इस कारण मरीज की हालत बिगड़ती रही थी। डॉक्टरों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह संक्रमण है या एनाफायलेटिक शॉक में है, लेकिन लगातार जांच करा रहे यि सीरम प्रोकैल्सिटोनिन से पता चला कि यह एनाफायलेटिक शॉक है। इसमें ब्लड प्रेशर न होने और शरीर में आक्सीजन न जाने की वजह से ब्रोन डेड का खतरा बन जाता है।  जांच के दौरान पता चला कि ब्रोनडेड की स्थिति नहीं है। इस पर एसोसिएट प्रोफेसर डा. विपिन सिंह ने नया प्रयोग करते हुए  ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के लिए एड्रीनेलिन ट्रांसफ्यूजन किया।

इसके बाद विटामिन सी के हाईडोज के साथ स्टेरायड भी दिया। इससे ब्लड प्रेशर 60-40 पर आया। लैक्सीस के साथ थायोपेंटोन देने से करीब 10 घंटे बाद मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा और फिर पेशाब आनी शुरू हुई। यह प्रक्रिया करने पर करीब 48 घंटे बाद फेफड़ा भी काम करने लगा। तीन दिन वेंटीलेटर पर रखने के बाद अब मरीज की हालत में सुधार हो रहा है।

सर्जरी विभाग से डा. संजीव कुमार, टीवीयू से डा. जीपी सिहं, डा. प्रवीन सिंह, डा. जिया, डा. राहुल, डा. प्रतिश्रूति, डा. नेहा, डा. प्रशस्ति, अन्य स्टाफ अमरेंद्र कुशवाहा, हरेराम, सुनैना, जुबली, अभिषेक आदि थे।

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