लखनऊ। रेजिडेंट डॉक्टरों के भारी विरोध के चलते रविवार को पीजीआई प्रशासन ने डीएम और एमसीएच की पढ़ाई कर रहे छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन कराने का फैसला वापस ले लिया है। रेजिडेंट डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि उनके हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। पीजीआई के सब डीन डॉ अंकुर भटनागर ने 8 जुलाई को सभी विभागाध्यक्षओं को हर 6 महीने में आंतरिक मूल्यांकन करने का आदेश जारी किया था। लगातार दो आंतरिक मूल्यांकन में यदि संतोषजनक प्रदर्शन नहीं होने पर इन्हें निष्काषित कर दिया जायेग। इस पर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने पीजीआई प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.आकाश माथुर और महासचिव डॉ. अनिल गंगवार ने एमसीआई को भी पत्र लिखा।
एसजीपीजीआई प्रशासन से कहा गया कि मेडिकल छात्र राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में टॉप रैंक लाकर संस्थान में भर्ती लेते हैंऔर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस तरह का कोई नियम नहीं बनाया है। मूल्यांकन के बजाय प्रशिक्षण का स्तर सुधारने की जरूरत है। उन्होंने रविवार शाम कैंडल मार्च शुरू करने का भी ऐलान कर दिया। इस पर रविवार को संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने रेजिडेंट डॉक्टरों को बुलाया। बैठक के दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक के बाद एक सवाल खड़े किए। इस पर निदेशक ने आंतरिक मूल्यांकन का आदेश वापस लेने का फैसला लिया। रविवार दोपहर बाद इस संबंध में सब डीन डॉ. अंकुर भटनागर ने आदेश भी जारी कर दिया।