लखनऊ। कैंसर, जोड़, गॉल ब्लेडर, पैंक्रियाज कैंसर और कमर दर्द से बेहाल मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अब इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए बहुत अधिक दवाएं खाने की जरूरत नहीं है। दर्द का अहसास कराने वाली नस ब्लॉक कराने के लिए बड़ा ऑपरेशन भी नहीं कराना होगा। दर्द से परेशान मरीजों को निजात दिलाने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एनस्थीसिया विभाग की पेन मैनेजमेंट यूनिट ने महत्वपूर्ण कार्य शुरू किया है। यूनिट में नवनीतम तकनीक रेडियो फ्रिक्वेंसी से इलाज शुरू किया गया है। यह जानकारी पेन यूनिट की प्रमुख डॉ. सरिता सिंह ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में दी।
डॉ. सरिता सिंह ने बताया कि दर्द से बेहाल मरीजों के बेहतर इलाज के लिए यूनिट में रेडियो फ्रिक्वेंसी मशीन खरीदी गई है। शताब्दी फेज एक पेन यूनिट में 15 लाख रुपये से मशीन स्थापित की गई है। उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से दर्द से पीड़ित मरीजों को राहत प्रदान की जाएगी। रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेजर तकनीक से मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।
डॉ. सरिता सिंह ने बताया कि ओपीडी में दर्द से परेशान काफी संख्या में मरीज आते है, जिनकों विभिन्न कारणों से तेज दर्द असहनीय हो रहता है। ऐसे मरीजों की जांच के बाद ही रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेजर तकनीक से इलाज करने का निर्णय लेने के लिए एक्सरे व अल्ट्रासाउंड जांच कराई जाएगी। इसके लिए उस नर्व की पहचान की जाएगी, जिसके कारण दर्द हो रहा है। इसके बाद विशेष प्रकार की निडिल (सुई) दर्द वाले भाग में इंट्री करायी जाएगी। फिर इसी निडिल से दर्द के लिए जिम्मेदार नर्व को रेडियो फ्रिक्वेंसी दी जाएगी। यह प्रक्रिया लगभग एक से डेढ़ घंटे की होती है।
इसके बाद मरीज को आवश्यक जानकारी देकर डिचार्ज कर दिया जाता है। नर्व में प्रवेश करायी गयी दवा 10 से 15 दिन में पूरी तरह से प्रभाव दिखाने लगती है। इसका प्रभाव छह से आठ महीने तक रहेगा। इस प्रक्रिया में दर्द से 70 से 80 प्रतिशत तक मरीजों को दर्द से छुटकारा मिल जाता है। यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए वरदान साबित होती है जिसकी सर्जरी होना मुश्किल होता है। उन्हें पेन किलर का सेवन नहीं करना पड़ता है।
डॉ. सरिता सिंह के मुताबिक मरीज के कोई चीरा नहीं लगता है। उसे सिर्फ निडिल खरीदकर लानी होती है, जिसकी कीमत एक हजार से 1500 रुपये तक हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक शुक्रवार को मरीजों को नई तकनीक से इलाज मुहैया कराया जाएगा।
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