न्यूज़। बदलते मौसम में सभी जगह प्रदूषण का स्तर धीरे धीरे बढ़ने लगा है। इसको लेकर सभी राज्य सरकारों ने तैयारी और निर्देश भी देना शुरू कर दिया। वैज्ञानिकों का मत है कि प्रदूषण खास तौर से शहरी प्रदूषण में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में रहने पर कोविड-19 के मरीज और लोगों के लिए घातक हो सकता है। दि इनोवेशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में अमेरिका के 3122 काउंटिंयो मैं जनवरी से जुलाई के बीच अहम प्रदूषको जैसे पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदूषण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक संपर्क में रहने पर मानव शरीर पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तंत्र का प्रभाव ऑक्सीडेटिव दबाव, शोध और श्वास संक्रमण के खतरे के रूप में पड़ता है। वायु प्रदूषण के प्रदूषको और कोविड-19 की तेजी के बीच संबंध की जानकारी पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने दो प्रमुख नतीजों कोविड-19 के पीड़ित मरीजों की मृत्यु और आबादी में कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर का अध्ययन किया। दो संकेतक क्रमश: कोविड-19 से होने वाली मौतों के लिए जैविक संवेदनशीलता का संकेत दे सकते हैं और कोविड-19 से होने वाली मौतों की तीव्रता की जानकारी दे सकते हैं अनुसंधान में यह भी पता चला प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों का कोविड-19 से होने वाली मौतों में नाइट्रोजन ऑक्साइड का बहुत मजबूत संबंध है। शोध में यह भी जानकारी मिली वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड no2 के 4.6 भाग के प्रति अरब के इजाफे से क्रमशः 11.3 प्रतिशत कोविड-19 मरीजों की मौत और 16.2 प्रतिशत मृत्यु दर बढ़ती है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि हवा में महक 4.6 पीपीबी no2 घटाकर काफी संख्या में मरीजों की जान बचाई जा सकती है।