पीजीआई के बाद बच्चों की यह जटिल सर्जरी अब केजीएमयू में

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लखनऊ। अक्सर बटन बैट्री या घड़ी आदि का सेल प्रयोग करने के बाद फेंक देते है। ऐसे में यदि आपका बच्चे ने खेलते- खेलते बटन बैट्री निगल लिया है ,तो तत्काल उसे शहद पिलाने के बाद विशेषज्ञ डाक्टर के पास लेकर पहुंचे। अगर देर हो जाती है तो उसकी आहार नली झुलस कर सिकुड़ जाती है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजी विभाग में विशेषज्ञ डाक्टरों ने इस तरह से परेशान बच्चों का इलाज भी शुरू हो गया है। अब तक पीजीआई में इस तरह की सुविधा मौजूद थी।

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अक्सर बच्चे खेलते वक्त कई बार बटन बैट्री को निगल लेते हैँ। यह अंदर जाते ही लार के संपर्क में आते ही बैट्री में लगी प्लास्टिक की लेयर गलने लगती है और इससे उसमें मौजूद अल्काइन केमिकल निकलती है। यह केमिकल बच्चे की आहार नाल की आंतरिक भाग की कोशिकाओं को जला देती है और कई बार फट भी जाती है। इस कारण आहार नाल सिकुड़ जाती है। पहले इसका इलाज सिर्फ एसजीपीजीआई में होता था, लेकिन अब केजीएमयू में पीडियाट्रिक विभाग के असिस्टेंट प्रो. तथा पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंटोलॉजी के प्रभारी डा. संजीव वर्मा ने ऐसे बच्चों का इलाज शुरू किया है।

उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उन्होंने एक बच्चे की सिकुड़ी आहार नाल को इंडोस्कोप तकनीक से ठीक कर दिया है। इस बच्चे ने करीब आठ माह पहले बैट्री निगल लिया था। किस्मत अच्छी थी कि उसे दस्त हो गये आैर बैट्री निकल गई। लेकिन कुछ देर में ही उसमें मौजूद केमिकल की वजह से आहार नाल सिकुड गई थी। वह कुछ खाते ही उल्टी कर दे रहा था। यहां जांच में आहार नाल सिकुडी पाई गई। इस पर डा. संजीव वर्मा ने इंडोस्कोप तकनीक से सिकुडन वाले हिस्से को फैलाया कर ठीक कर दिया। अब बच्चा स्वस्थ्य है।

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