डॉ .रोहित सिन्हा व टीम ने इटली व सिंगापुर के साथ मिलकर हासिल की सफलता
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के जीन की पहचान की है। यह शोध मरीजों के इलाज में यह रिसर्च मील का पत्थर साबित होगी। यह संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ रोहित सिन्हा व उनकी टीम ने इटली और सिंगापुर के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक जीन यूएलके वन की खोज की है, यह जीन लिवर कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को नियंत्रित करता है, इस जीन को दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। शोध में जीन की पहचान तो हो गयी लेकिन अभी इसको नियंत्रित करने के लिए अभी दवायें उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इन दवाओं पर भी शोध चल रहा है।
संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के सहायक प्रो. डॉ. रोहित सिन्हा और उनकी टीम द्वारा इटली और सिंगापुर के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक जीन यूएलके वन की खोज की गयी, जो लिवर कोलेस्ट्राल के उत्पादन को नियंत्रित करता है । डा. रोहित सिन्हा और उनके विद्यार्थी संगम रजक द्वारा यह दिखाया गया कि यूएलके वन का ड्रग आधारित निषेध मानव हेपेटिक कोशिकाओं व माउस मॉडल में यकृत कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने वाले एंजाइमों को पैदा करने वाले कोलेस्ट्राल के जैव संश्लेषण को काफी कम करता है।
शरीर में कोलेस्ट्रोल संश्लेषण के नियामकों के रूप में यूएलके वन जीन की पहचान में पता चला के इस प्रोटीन की कमी वाली जिगर कोशिकाओं में कोलेस्ट्रॉल की कमी थी। इसके अतिरिक्त डाक्टर सिन्हा की लैब ने आवणिक और सेलुलर जीव विज्ञान तकनीकों का उपयोग उस तंत्र को उजागर करने के लिए किया, जिसके द्वारा यूएलके वन ने कोलस्ट्रोल संश्लेषण को विनियमित किया था। खोज के अनुरूप वैज्ञानिक घटे हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर से संबंधित बीमारियों का उपचार दवाओं की पहचान के बाद प्रदान कर सकते हैं।
बताते चले कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ना आज एक आम समस्या बन चुकी है, जबकि हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने में कोलेस्ट्रोल का सही होना बहुत जरूरी है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना कई तरह की घातक बीमारियों जैसे हाईपरटेंशन, ब्रोन स्ट्रोक को जन्म देता है। भारत में 30 वयस्क रोगियों की कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। हम अपने खानपान और आहार से कोलेस्ट्रॉल ग्रहण करते हैं, किंतु लिवर से भी कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन होता है। मानव शरीर में लिवर के कोलेस्ट्रोल बढ़ने की इसी संश्लेषण को अधिकांशतः कार्डियोवैस्कुलर जटिलताओं से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि कैंसर पर भी कंट्रोल करने में भी इसी जीन की भूमिका है।