लखनऊ। प्रदेश के लगभग छोटे -बड़े स्वास्थ्य केन्द्र व सरकारी अस्पतालों को मिला कर लगभग 25 हजार अस्पतालों में कुल 12361 डाक्टर ही तैनात है। विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ती आबादी व आवश्यकताओं को देखते हुए 43 हजार डाक्टरों की संख्या होनी चाहिए। डाक्टरों की भर्तियां ज्यादा होने के कारण पर संविदा पर डाक्टरों की तैनाती की कोशिश की गयी, लेकिन संविदा पर भी डाक्टर नहीं मिल रहे है। खास कर विशेषज्ञ डाक्टरों का तो सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। योजना के तहत संविदा पर विशेषज्ञ डाक्टरों को मनमाने वेतन पर तैनाती की गयी, लेकिन यह भी कारगर नहीं हो रही है। अब तैनात डाक्टरों की सेवा निवृत्त उम्र 70 वर्ष करने का प्रस्ताव है, जिसका पीएमएस संवर्ग के डाक्टर विरोध कर रहे है।
वर्तमान में प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के कुल पद 18382 है।
इनमें विशेषज्ञों के पद भी शामिल है। सरकारी आंकड़ों को देखा जाए तो स्वास्थ्य के न्द्रों व सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों की कुल संख्या को देखा जाए, तो वर्तमान में 12361 डाक्टर ही विभिन्न अस्पतालों में तैनात है। रिक्त डाक्टरों के पदों की संख्या 6021 है। आंकड़ों के अनुसार अब 1605 डाक्टरों की आवश्यकता है। बाकी शेष पदों पर नेशनल हेल्थ मिशन व यूपी हेल्थ सिस्टम स्ट्रेन्थिंग प्रोजेक्ट के तहत संविदा डाक्टर भर्ती कर लिया गया है। अगर देखा जाए तो इन 12361 डाक्टरों में काफी संख्या में डाक्टर प्रशासनिक पदों पर भी तैनात है, जो कि क्लीनिकल वर्क से बहुत दूर रहते है। इनमें विशेषज्ञ डाक्टर भी शामिल है, जो कि महानिदेशालयों व सीएमओ स्तर पर फाइल वर्क व योजनाओं के संचालन में ही जुटे रहते है। वर्तमान में आंकड़ों के अनुसार तीन हजार से भी कम विशेषज्ञों की संख्या है।
इनमें भी न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन , स्त्री रोग विशेषज्ञ, कार्डियक, रेडियोडाग्योनिस्ट विशेषज्ञ के अलावा बाल रोग तथा सर्जन की कमी चल रही है। राजधानी का ही उदाहरण ले तो न्यूरो सर्जन मात्र बलरामपुर अस्पताल में मात्र है तो कार्डियक विशेषज्ञ सिर्फ अस्पताल की कैथ लैब में ही तैनात है। यहां पर भी एंजियोग्राफी,एंजियोप्लास्टी तथा पेसमेकर मरीजों को मुश्किल से हो पाती है। यही हाल लोहिया अस्पताल में लगे वेंटिलेटर यूनिट की है। यहां पर इसके संचालन के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी बनी हुई है। यह तो राजधानी का हाल है, जहां पर आस-पास के जनपदों से रेफर होकर बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल तथा लोहिया अस्पताल मरीज आते है। जनपदों के जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की बेहद कमी बनी हुई है।
इस बारे में प्रोविशिन्यल मेडिकल सर्विसेज संघ के महासचिव डा. अमित बताते है कि अगर देखा जाए तो उनकी जानकारी के अनुसार मात्र दस हजार डाक्टर ही तैनात है। संविदा पर डाक्टरों को मनमाने वेतन पर लाया तो गया, लेकिन उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। तैनाती होने के बाद भी विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी से परेशान रहता है। उनका मानना है कि डाक्टरों की भर्तिया करके उनकी सुविधाएं व वेतन को बढ़ाया जाए। संघ के अध्यक्ष डा. सचिन का कहना है कि मई 2016 में तैनात डाक्टरों की सेवानिवृत्त उम्र 60 से 62 वर्ष कर दी गयी। अब विशेषज्ञ व डाक्टरांे की कमी के चलते सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 70 वर्ष करने की तैयारी करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि डाक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र चाहे कितनी भी की जा रही हो, लेकिन 60 वर्ष में उसके कार्यकाल के सभी ड¬ूज को क्लियर कर दिया जाए आैर उसकी स्वेच्छा से सेवा विस्तार बढ़ाया जाए। इसको लेकर चार जुलाई को बैठक भी है।
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