लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में चिकित्सा के क्षेत्र में दसवें पायदान पर पहुंच गया है। सोमवार को मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट की ओर से (एनआईआरएफ) की रैंकिंग जारी की गई, जबकि पिछले साल केजीएमयू पांचवे पायदान पर था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रैंक बदहाल होती चिकित्सा व्यवस्था के कारण हुआ है। केजीएमयू को एशिया का सबसे ज्यादा बिस्तर वाला अस्पताल माना जाता है। यहां पर 4000 बिस्तर हैं। इलाज के लिए 450 से ज्यादा डॉक्टर हैं, जबकि 1000 से ज्यादा सीनियर व जूनियर रेजीडेंट तैनात हैं। यहंा पर एमबीबीएस की 250 सीटे हैं।
यहां की ओपीडी में छह से सात हजार मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। प्रदेश सरकार केजीएमयू को हर साल करीब 910 करोड़ रुपये का बजट जारी करती है, इन सब के बाद भी केजीएमयू में पढ़ाई से लेकर इलाज तक की व्यवस्था में दिन प्रतिदिन गिरावट दर्ज हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर 16 बिन्दुओं पर रैंकिंग तय की जाती है। इनमें प्रशिक्षण, शिक्षण, मरीजों की देखभाल, सुविधाएं आदि बिन्दुओं को विशेषज्ञों की टीम देखती है। अगर देखा जाए तो वर्चस्व की जंग में विभागों में डीएम व एमसीएच कोर्स शुरू नहीं हो सके। विभिन्न विभागों में सुपर स्पेशियालिटी के कोर्स शुरू नहीं हो पाए। विभागों में नए पदों का सृजन नहीं हो पा रहे हैं आैर मामला अधर में है।
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