एनआईवी उपकरण से गंभीर मरीज का इलाज सम्भव

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लखनऊ। सत्तर से अस्सी प्रतिशत मरीज ऐसे भर्ती होते है,जिनकों वेंटिलेटर पर भर्ती करने के लिए कहा जाता है, लेकिन उन्हें वेंटिलेटर की तत्काल आवश्यकता नही होती है। उनका इलाज एन आई वी ( नान इवेजिव वेंटिलेशन) उपकरण पर भर्ती करके कि या जा सकता है। यह उपकरण गंभीर स्थित में जा रहे मरीजों का इलाज करने के लिए बेहद कारगर है। यह जानकारी नयी दिल्ली के यशोदा हास्पिटल के डा. अर्जुन खन्ना ने किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन आयोजित कार्यक्रम में दी। यूपी चैप्टर ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में तीन दिवसीय अधिवेशन में पहले दिन पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग के साथ अन्य डाक्टरों को बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम ( बीएलएस), बायोमेडिकल वेस्ट आदि का प्रशिक्षण दिया गया।

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डा. अर्जुन खन्ना ने कहा कि वर्तमान में एनआईवी उपकरण की उपयोगिता बढ़ती जा रही है, परन्तु इसका उपयोग कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि कहीं भी अस्पताल या इमरजेंसी में गंभीर मरीज के आने पर अगर आक्सीजन लगाने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है तो ज्यादातर मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता बता दी जाती है, परन्तु एनआईवी उपकरण का प्रयोग करने पर मरीज को बेड साइड ही इलाज शुरू किं या जा सकता है। उन्होंने बताया कि मरीज के मास्क लगाकर कार्डियक,श्वसनतंत्र, पल्स आदि को मानिटर के माध्यम से नजर सकते है। यह उपकरण सबसे ज्यादा निमोनिया, स्वाइनफ्लू तथा सीओपीडी के मरीजों में ज्यादा कारगर है। इसकी कीमत भी पचास हजार के आस-पास आती है।

मेडिसिन विभाग के डा. अभिषेक ने बताया कि टूडी इको की जांच में कार्डियक की कई तरह की दिक्कत को देखा जा सकता है। इसमें हार्ट की वर्क कंडीशन तो देख जा सकता है। साथ ही मरीज के सांस फूलने का कारण लंग या हार्ट है। इसकी भी जानकारी ली जा सकती है। डा. डी हिंमाशु ने बताया कि अधिवेशन में शरीर के विभिन्न बीमारियों का अपडेटशन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक्सरे टू सीटी स्कैन में एक्सरे के माध्यम से किन जटिल बीमारियों की पहचान करके इलाज कि या जा सकता है। अधिवेशन में वरिष्ठ फिजिशियन डा. कौसर उस्मान ने बताया कि अधिवेशन में पैरामेडिकल, नर्सिंग व डाक्टरों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम (बीएलएस) का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बदलती जिंदगी में आम व्यक्ति को भी बीएलएस का प्रशिक्षण लेना चाहिए। कहीं भी कभी भी मरीज को बीएलएस से अस्पताल पहुंचने से पहले प्राथमिक उपचार करके नयी जिंदगी दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि मॉल,रेलवे स्टेशन, एअरपोर्ट, बस स्टेशन आदि लगभग सभी महत्वपूर्ण पब्लिक प्लेस पर डिफलेटर होना चाहिए आैर चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। ताकि इमरजेंसी में मरीज की जान बचायी जा सके। अधिवेशन में मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. वीरेन्द्र आतम व अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।

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