लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में क्लीनिक व नर्सिंगहोम, अस्पताल के हो रहे पंजीकरण का नवीनीकरण में नये नियम बनाये गये है , जिसका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने विरोध किया है। शनिवार को हुई पत्रकार वार्ता में आईएमए के पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। पत्रकारवार्ता में आईएमए के सचिव डा. जेडी रावत ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी डाक्टरों के नये पंजीकरण व पुरानों का नवीनीकरण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को अचानक ही ऑनलाइन कर दिया गया है। इससे काफी लोग आवेदन नहीं कर पा रहे है।
आफ लाइन कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा नया पंजीकरण व नवीनीकरण कराने के लिए नये नियम बना दिया गया है। इसमें प्रमुख रूप से सभी फायर बिग्रेड की एनओसी भी देने के लिए कहा गया है। ऐसे में कोई नया क्लीनिक शुरू करने वाला डाक्टर फायर विभाग की एन ओसी लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
फायर बिग्रेड विभाग का भी मानना है कि उनके अपने नियम है। जिनका मानक पूरा होगा, उसे ही एनओसी दी जाएगी। ऐसे में काफी संख्या में क्लीनिक, नर्सिंग होम व अस्पताल बंद हो सकते है। अध्यक्ष डा. जीपी सिंह ने बताया कि अलग- अलग निकायों द्वारा मनमर्जी से मांगी जाने वाली लाइसेंस फीस तुरंत बंद कर दे जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि बिना किसी तरह की सेवा किये भी शुल्क की वसूली जैसे नगर निगम द्वारा बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण का शुल्क मांगना भी बंद होना चाहिए। क्योंकि इस कचरे का निस्तारण वह नहीं करता है।
इसी प्रकार क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट , जो अभी प्रदेश में लागू नहीं किया गया है आैर उसमें हरियाणा का मॉडल का परिवर्तन सुझाया गया है। इसमें पचास बिस्तरों से कम वाले अस्पतालों तक को बाहर कर दिया गया है। इस पर गंभीर रूप से परिचर्चा होनी चाहिए। पत्रकार वार्ता में एक मत से पदाधिकारियों ने कहा कि अगर उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन को मजबूर होंगे।
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