लखनऊ। चिकित्सा क्षेत्र में अब क्लीनिकल इंजीनियरिंग शुरू हो गयी है। जल्द ही इंजीनियर, डॉक्टर मिलकर अब मरीजों को सस्ते इलाज का विकल्प मुहैया कराना शुरू कर देंगे। इसके तहत चिकित्सा व इंजीनियरिंग संस्थानों ने मिलकर काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम में आइआइटी कानपुर ने एक नई फोटोथेरेपी डिवाइस तैयारी की है। जल्द ही यूवी प्लेट बनाने का लक्ष्य भी हासिल करने में लगे है। यूवी प्लेट बनने के बाद घर पर ही नवजात शिशुओं की पीलिया दूर करने में मददगार बनेगी।
गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार को ‘इनोवेशन इन मेडिकल टेक्नोलॉजी पर चर्चा करने के लिए आइआइटी कानपुर, एकेटीयू व लोहिया संस्थान व पीजीआइ के डॉक्टरों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। टेक्नोलॉजी पर चर्चा करते हुए डॉक्टरों ने इंजीनियरों के एक साथ अस्पताल व मरीज की समस्याओं पर निजाते दिलाने के विकल्प बताये। इस दौरान आइआइटी कानपुर के डॉ. एस गणेश, डॉ. जे रामकुमार, आआइएम लखनऊ के डॉ. डी सेंगर, लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी, एकेटीयू के कुलपति डॉ. विनय त्रिपाठी ज्यूरी सदस्यों ने टॉप थ्री आइडिया का चयन किया। इसमें एक में यूवी प्लेट विकसित करने की आवश्यकता जताई गयी।
आइआइटी कानपुर के इंजीनियर अब इस मेडिकल डिवाइस बनाने का कार्य करेंगे। इस बारे में लोहिया संस्थान के डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि प्री-मेच्योर बच्चों का जन्मदर बढ़ रही है, जबकि वहीं पैदा होते ही 50 प्रतिशत शिशु पीलिया के शिकार होते हैं। अगर देखा जाए तो अभी भी एनआइसीयू में फोटोथेरेपी मशीन पर रखा जाता है। इसमें अल्ट्रॉ वायलेट (यूवी) किरणों से बच्चों की पीलिया दूर होती है। वहीं अब एक नयी प्रकार की यूवी प्लेट विकसित की जाएगी। यह प्लेट सिर्फ एक स्टेंड में लगी होगी। इस स्टैंड बाक्स में शिशु को रखकर को धूप में रख दिया जाएगा। जब प्लेट पर सूरज की किरणे पड़ेगी, तो इससे यूवी किरण शिशु के शरीर में जाएगी।
आइआइटी कानपुर के केमिकल इंजीनियर डॉ. राजकुमार ने कहा कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डाक्टरों के साथ एक नई फोटोथेरेपी डिवाइस तैयार की गई है। यह पीलिया पीड़ित नवजात शिशु के इलाज में मदद करेगी। पहले फोटोथेरेपी जहां एक सेंट्रल फोकल लाइट बेस्ड होती थी, अब नयी यूनीफॉर्म डिस्ट्रीब्यूशन इंटेंनसिटी बेस है। इसकी खास बात यह है कि यूवी लाइट नवजात के पूरे शरीर पर पड़ने से पीलिया जल्दी ठीक होगा। इसका फोटोथेरेपी का ट्रायल जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में हो चुका है आैर यहां मेडिकल एथिक्स कमेटी ने हरी झंडी दे दी है। एक कंपनी से नो प्रॉफिट-नो लॉस पर करार किया गया है।
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