नाकाम है वापस गये डाक्टरों को ट्रामा सेंटर लाने में केजीएमयू प्रशासन

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रशासनिक उदासीनता के चलते ट्रॉमा सेंटर में तैनात कि ये 32 डाक्टरों की दोबारा वापसी नही हो पा रही है। जब कि यहां पर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इन डाक्टरों की तैनाती की गयी थी। कुछ महीने पहले इन डाक्टरों के वापसी की कोशिश तो की गयी, लेकिन गम्भीरता से न लेने पर यह डाक्टर ड¬ूटी पर नहीं आये। यही नहीं इसके साथ ही लगभग 72 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी ट्रॉमा सेंटर से तैनाती के बाद काम के दबाव को देखते हुए विभागों में अपना ट्रान्सफर करा चुके हैं।

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अगर ट्रॉमा सेंटर के रिकार्ड को देखा जाए तो यहां प्रतिदिन लगभग 260 मरीज़ भर्ती किये जाते हैं, जब कि 400 मरीज़ रोजाना इमरजेंसी में में आते हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों का लोड ट्रॉमा सेंटर में दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। उधर जो डॉक्टर और एसआर अभी अपनी सेवाएं ट्रॉमा सेंटर में दे रहे हैं उनपर लोड का आलम यह है कि एक एसआर 18 घंटे तक अपनी सेवाएं दे रहा है। बताते चले वर्ष 2013 में तत्कालीन कुलपति डॉ. डीके.गुप्ता ने ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाएं देने के लिए 32डॉक्टरों की भर्ती और 72 सीनियर रेजीडेंट की भर्ती की गयी थी।

यह सभी डॉक्टर आर्थोपैडिक, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, पीड्रियाटिक्स ,स्त्री रोग विभाग सहित अन्य विभागों में विशेषज्ञ थे। कुछ महीने पहले ट्रामा सेंटर में इन डाक्टरों की वापसी की गयी थी आैर ड¬ूटी पर रहने के लिए कहा गया था। उस वक्त तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. यूबी मिश्र ने इन गायब डाक्टरों की बैठक भी ली आैर समस्याओं के निराकरण का वादा भी किया था।

हालांकि बुधवार को केजीएमयू में हुई प्रशासनिक बैठक में डॉक्टरों की कमी की चर्चा हुई, कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने सभी 32 डॉक्टरों और एसआर की सूची तलब किया है, इसके बाद फिर डॉक्टर व सीनियर रेजीडेंटों को वापस ट्रॉमा में ड्यूटी लगाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। ट्रामा सेंटर में प्रत्येक विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर व उनके रेजीडेंट की जिम्मेदारी ट्रॉमा मरीजों के प्रति होती है। सभी विभागों के डॉक्टरों का दिन तय है, उसे नाइट हो या डे ड¬ूटी पर रहना होता है। इससे मरीजों को तत्काल उच्चस्तरीय इलाज मिल जाता है।

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