लखनऊ। राजधानी के निजी अस्पतालों में अवैध फॉर्मेसी का जाल फैला हुआ है,निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग के छापे में इसका खुलासा लगातार हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों ने पाया कि बिना मानकों के मनचाही दवाएं बिक रही है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि छापे में मिली मानकों के बिना फार्मेसी की जानकारी शासन को दे दी गयी है। वही सोमवार को एफएसडीए की शिकायत डिप्टी सीएम व डीएम पास ट्विटर के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1200 से अधिक निजी अस्पताल राजधानी में चल रहे है। बताया जाता है कि बड़े तथा.मध्यमवर्गीय अस्पतालों ने अस्पताल में संचालित फार्मेसी का नियमानुसार लाइसेंस ले रखा है, लेकिन ज्यादातर निजी अस्पतालों में बिना लाइसेंस के फार्मेसी चल रही है।
यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों में फायर के मानक परखने दौरान ही अवैध फार्मेसी की जानकारी हो रही है। बिना मानकों के चल रही फार्मेसी की जानकारी भी रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा रही है। स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो पिछले पंद्रह दिनों में सीएमओ की टीम जरिए करीब 20 से अधिक अस्पतालों का निरीक्षण किया गया। इसमें मात्र चार से पांच निजी अस्पताल ही फार्मेसी का लाइसेंस मिला था। यह भी पाया गया कि अगर किसी निजी अस्पताल में फार्मेसी का लाइसेंस मिला, तो वहां पर फार्मासिस्ट की जगह अप्रशिक्षित स्टॉफ मरीजों को दवाएं देता मिला। इंदिरा नगर, ठाकुरगंज, गोलागंज, चौक, गुडंबा, पारा समेत अन्य क्षेत्रों में निजी अस्पताल बिना मानकों के फार्मेसी का संचालन हो रहा हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पाया कि निजी अस्पतालों में बिना मानकों के चल रही फार्मेसी में डाक्टर के पर्चे पर लिखी दवा ही मिल पाती है। पर्चे के बगैर दवा नहीं दी जाती है यही नहीं बाहर किसी दवा की दुकान पर डाक्टर की लिखी दवा भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है। सामाजिक कार्यकर्ता ममता त्रिपाठी ने इस प्रकरण की शिकायत डिप्टी सीएम बृजेश पाठक व जिलाधिकारी को ट्विटर के माध्यम से की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है निजी अस्पतालों में संचालित फार्मेसी पर कार्रवाई का अधिकार उनके कार्यक्षेत्र में नहीं है। उसकी जानकारी शासन को भेज दी जाती है।