लखनऊ। आशियाना स्थित स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के अंतिम दिन अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख और देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति डॉ.प्रणव पंडया ने भी अपने विचार रखे। इसके साथ ही पांच दिन चला बारह हजार ज्यादा डाक्टरों से देश विदेश के स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। समापन समारोह में डाक्टरों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। डॉ. पंडया ने कहा कि माँ की जीवनचर्या का असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है। अगर गर्भावस्था में माँ खुश है तो बच्चा भी तंदुरुस्त रहेगा। ऐसे में एक गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य का ख्याल तो रखना ही चाहिए। साथ ही परिवार वालों को भी उनकी ख़ुशी का विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
हमारे पुराणों में भी कई ऐसे संदर्भ मिलते है,ं जब गर्भ में पल रहा शिशु भी हमारे क्रियाकलापों को सुनता है। उसी के अनुसार उसका जीवन भी आगे होता है। यह बात अब विज्ञान में भी प्रूफ हो चुकी है। इसलिए गर्भ में पल रहे शिशु से बात भी करनी चाहिए। माँ को भी गर्भ के समय नकारात्मक चीजों से दूर रहने की जरूरत होती है। क्योंकि गर्भवस्था के दौरान माँ के व्यवहार का असर बच्चे पर दिखाई देता है। गर्भावस्था में तनावमुक्त रहने के लिए संगीत सुनना फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा खानपान को विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जितनी हेल्दी डाइट माँ लेती है शिशु को उतना हो पोषण मिलता है।
समापन समारोह में डा. प्रीती कुमार ने कहा कि एआईसीओजी में 1200 शोधपत्र हुए प्रस्तुत किये गये। दुनिया भर से आये डॉक्टरों ने 1200 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। इनमें डॉ. मोना उस्मानी, डॉ. आयुषी और डॉ. रूबी ने भी शोधपत्र प्रस्तुत किये। डॉ. तृप्ति बंसल ने बताया कि यहां पर प्रस्तुत किये गये शोध पत्र चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। समापन समारोह में बेहतर करने वाले विशेषज्ञ डाक्टरों को सम्मानित करने के साथ अन्य भाग लेने वाले पैरामेडिकल व अन्य लोगों को प्रमाण पत्र भी दिये गये।
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