लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में फेफड़ें (लंग) के कैंसर का इलाज के लिए नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से एक नयी कारगर दवा मरीजों को दी जा रही है। इस दवा के प्रयोग से मरीजों की क्वालिटी ऑफ लाइफ कुछ अर्सा के लिए बढ़ जाती है। अभी तक यह दवा दो मरीजों में सफलता पूर्वक दी जा चुकी है। इस एक इंजेक्शन की 1.27 लाख रुपये आती है।
केजीएमयू के सर्जरी विभाग के डा. शैलेंद्र यादव ने बताया कि फेफड़े कैंसर के मरीज जो कि दूसरे चरण में हैं, कीमोथेरेपी, क्लीनिकल और अन्य इलाज किया जा चुका है। इस दौरान कोई दवा असर न कर रही हो, ऐसे मरीजों के लिए एक विशेष इंजेक्शन सायरमजा न् पायलट प्रोजेक्ट के तहत नेशनल हेल्थ मिशन ने उपलब्ध कराया गया है, जो हर 21 दिन पर लगाया जायेगा। उन्होंने बताया कि अभी तक दो मरीजों को यह नयी दवा दी गयी, जो कि असरकारक रही है। डा यादव ने बताया कि फेफड़े के कैंसर में ज्यादातर मरीज 50 फीसदी से ज्यादा बीमारी फैल जाने के बाद इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में बीमारी को काबू पाना मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों में कीमोथेरेपी कुछ दिन ही काम करता है। फिर कीमो का असर कम होने लगता है।
इससे बीमारी को दूर करने में समस्या पैदा होती है। डा शैलेंद्र ने बताया कि फेफड़े के कैंसर की सेकेंड लाइन नयी दवा (इंजेक्शन) करीब डेढ़ माह पहले आयी है। इंजेक्शन की खुराक करीब तीन हफ्तंे में एक बार दी जाती है। छह से 12 माह तक इस दवा से मरीज और जी सकता है। फेफड़े के कैंसर के अधिक फैल जाने पर महज 20 फीसदी से कम ही लोग ऑपरेशन से बच पाते हैं। उन्होंनेे बताया कि फेफड़े के कैंसर भारत में दूसरा बड़ा मौत का कारण है। यह पुरुषों में फैलने वाला सामान्य कैंसर है। वर्ष 2012 में फेफड़े के कैंसर के नए 80 हजार मामले आएए जिसमें 65 हजार लोगों की जान गयी। डा. यादव ने बताया कि जिनके खांसी दो सप्ताह से लम्बी खिंचे आैर दवाओं के सेवन के बाद भी नहीं ठीक हो, परामर्श विशेषज्ञ डाक्टर से लेना चाहिए।
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