लखनऊ। अगर आंकड़ों की माने तो क्षय रोग ( टीबी) से लखनऊ में छह घंटे में एक मौत हो रही है आैर यही नहीं हर साल दस हजार नये टीबी के मरीज आ रहे है। अगर राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो प्रत्येक तीन मिनट में दो मरीजों की मौत टीबी से हो रही है। यह जानकारी विश्वक्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन के वरिष्ठ डा. वेद प्रकाश ने दी। पत्रकार वार्ता में केजीएमयू के प्राक्टर व वरिष्ठ डा. आर एएस कुशवाहा तथा विशेषज्ञ डा. राजेद्र प्रसाद भी मौजूद थे।
डा. वेद प्रकाश ने बताया कि क्षय रोग विश्व की दस प्रमुख मौत की जिम्मेदार बीमारियों में से एक है। डब्ल्यूएचओं की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में पांच लाख 58 हजार रिफैंम्पिसिन रजिस्टेंट मरीज पाये गये, जिसमें 82 प्रतिशत एमडीआर के मरीज थे। जब कि इसी वर्ष एक करोड़ लोग क्षय रोग की चपेट में आ गये, जिसमें 16 लाख लोगों की मौत हो गयी। अगर यही आंकड़े देखे जाए तो 10 लाख बच्चे भी प्रभावित हो गये। डा. राजेद्र प्रसाद ने कहा कि टीबी का माइक्रोबैक्टीरिम ट¬ूबरक्लोसिस जीवाणु दूसरे लोगों में हवा के द्वारा फैलता है। हर उम्र के मरीजों में 10 से 15 प्रतिशत लोगों को टीबी होने की आशंका होती है। उन्होंने बताया कि अगर आंकड़ों को देखे तो 16 प्रतिशत मरीजों में मधुमेह रोग पाया जाता है आैर लगभग 2.8 प्रतिशत मधुमेह रोगियों को टीबी रोग हो जाता है। देश में 6 करोड़ मधुमेह रोगी है, जिनमें 18 लाख टीबी की चपेट में आ चुके है। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
फेफड़े की टीबी के लक्षण….
– दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना
– बलगम आना
-सीने में दर्द
– सीने में दर्द
– बुखार आना
– भूख एवं वजन तेजी से कम होना
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