सरकार के इस निर्णय से लैब के जाँचो की गुणवत्ता पर लगेगा प्रश्नचिन्ह-सुरेश
लखनऊ । यूपी लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत ने बताया कि प्रयोगशाला सहायक (ग्राम्य) को प्रयोगशाला प्राविधिज्ञ (एलटी )के पदों पर 25% कोटा निर्धारण करते हुए पदोन्नति करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है जो न्याय संगत नहीं है ।
श्री रावत ने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के शासनादेशो ,संस्तुतियों व ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में दिए गए प्रावधानों से संबंधित सभी अभिलेखों को महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अनुरोध किया जा चुका था कि इस तरीके के निर्णय से देश की स्वास्थ्य सेवाओं ,लैब की जांच की गुणवत्ता पर प्रश्न लगेगा ।चिकित्सकों को प्रदेश की जनता के उपचार में कठिनाइयां होंगी जिसका दंश जनता को झेलना पड़ेगा ।
एल टी संघ के सचिव कमल श्रीवास्तव ने बताया कि प्रयोगशाला सहायक ग्राम्य की शैक्षिक अहर्ता 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स है व प्रयोगशाला प्राविधिज्ञ की शैक्षिक अहर्ता 2 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है ,जोकि स्टेट मेडिकल फैकल्टी से मान्यता प्राप्त है ।दोनों पदों के कार्य एवं दायित्व भिन्न है ऐसी परिस्थिति में सरकार द्वारा लिया गया निर्णय एलटी संवर्ग के लिए नुकसान दे है ।इस निर्णय से प्रदेश के हजारों लैब टेक्नीशियन जिन्होंने कोविड काल में अग्रणी भूमिका निभाते हुए प्रदेश की जनता की सेवा की है उनमें काफी आक्रोश व्याप्त है ।
एलटी संघ के अध्यक्ष सुरेश रावत ने माननीय मुख्यमंत्री जी व मुख्यसचिव जी को पत्र भेजकर मांग की है कि इस प्रकरण में पुनर्विचार करते हुए प्रयोगशाला सहायक ग्राम को 2 वर्षीय डिप्लोमा कराने के बाद ही पदोन्नति करने हेतु निर्देशित करें ।जिससे प्रदेश की जनता का विश्वास स्वास्थ सेवाओं पर बना रहे ।