लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का वर्ष 2020 में दुर्भाग्य या संयोग अभी तक स्थायी निदेशक नहीं मिल पा रहा है। निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी के दोबारा निदेशक पद से इस्तीफा देने के बाद यह चर्चा तेज हो गयी है।
लोहिया संस्थान के पूर्व निदेशक डा. दीपक मालवीय के बाद किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर व हेमेटोलॉजी विभाग के प्रो. एके त्रिपाठी ने निदेशक का पद भार ग्रहण किया। इसके बाद ही लोहिया संस्थान में आंतरिक राजनीति शुरु हो गयी। संस्थान के सूत्रों की माने तो संस्थान के गुट बाजी के वरिष्ठ निदेशक की निर्देशों को टालने लगे। इमरजेंसी में व्यवस्था चरमराने लगी। इसी बीच कोरोना महामारी शुरू हो गयी। प्रो. त्रिपाठी कोरोना के व्यवस्था में जुट गये। इस बीच प्रो. त्रिपाठी पर कोरोना व इमरजेंसी अव्यवस्था व अन्य गड़बड़ी के आरोप लगाकर प्रो. त्रिपाठी को निदेशक पद से हटाकर जांच कमेटी बना दी गयी। इसके बाद संस्थान की ही वरिष्ठ प्रो. नुजहत हुसैन को कार्यवाहक निदेशक की जिम्मेदारी दी गयी। कुछ महीने बाद अगला निदेशक बनने तक अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके त्रिपाठी को जिम्मेदारी दी गयी। शासन ने प्रो. त्रिपाठी पर लगे आरोप जांच कमेटी ने निराधार पाये। उन्हें दोबारा निदेशक की जिम्मेदारी दे दी गयी। प्रो. त्रिपाठी ने अचानक एक सप्ताह बाद निदेशक पद छोड़ कर सबको चौका दिया। अब देखना है कि जाते वर्ष में निदेशक का पद भार कौन सम्हालता है। बताया जाता है कि निदेशक पद पर संस्थान के कई वरिष्ठ डाक्टर कार्यवाहक तक बनने से कतरा रहे है।