लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को बिना सूचना दिए विदेश में नौकरी करने वाले डॉक्टर का खुलासा हुआ है। संस्थान प्रशासन ने कॉर्डियो वैस्कुलर थोरैसिक सर्जरी (सीवीटीए) विभाग के डॉ. ललित मोहन जोशी के मामले को ग्रेविटास से लिया गया है। डॉ. जोशी पर संस्था प्रशासन ने करीब 35 लाख का जुर्माना ठोका है। साथ ही डॉ. जोशी को पांच साल से सरकारी चिकित्सा संस्थान में आवेदन करने पर भी रोक लगाई गई है।
कार्डियक वीएस सेकुलर थोरेसिक सर्जरी (सीवीजी) विभाग के डॉ। ललित मोहन जोशी चार जनवरी वर्ष 2016 से ऑस्ट्रेलिया में हैं। बताया जाता है कि 25 जुलाई वर्ष 2022 को डॉ. जोशी ने संस्थान प्रशासन को अपना बलिदान पत्र भेजा। संस्थान के कार्यकारी रजिस्टार डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल ने 13 दिसंबर 2022 को अपना त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। साथ ही दंडात्मक कार्रवाई का आदेश भी दिया। दिए गए विवरण के अनुसार डॉ. ललित ने शेड्यूल में जॉब ज्वाइन करने की सूचना नहीं दी है। इस संबंध में संस्था प्रशासन की ओर से कई पत्र भी भेजे गए। उसी समय त्याग पत्र देने से तीन माह पहले सूचना दी जाती है।
इस नियम का भी पालन नहीं किया गया है।
बिना बताए डॉक्टर के जाने से लोहिया संस्थान में सीटीवीएस की एक सीट भी फंस रही है। रोगियों का भी काफी नुकसान हुआ है। इस प्रकरण को ग्रेटाइट से ग्रहण करने वाले संस्थान प्रशासन ने 28 लाख 11 हजार 543 रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया है। इसी प्रकार का त्यागपत्र देने से तीन माह पहले नोटिस न देने पर सात लाख नौ हजार 302 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। पत्र के अनुसार अब डॉ. जोशी पांच साल किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में आवेदन नहीं कर सकते।
एक्ज़ीक्यूटिव रजिस्टार ने मुख्य सचिव, संस्थान के निदेशक और नियुक्त चिकित्सा परिषद और नियुक्त उच्च आयोग को भी पत्र भेजा है। इसके बाद डॉ. जोशी की परेशानी बढ़ सकती है। बिना एनओसी के नौकरी हासिल करने के आरोप में बड़ी परेशानी हो सकती है।