लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी में किये गये सफल लिवर प्रत्यारोपण में मरीज की हालत में सुधार को देखते हुए वेंटिलेटर को हटाया गया। इसके अलावा लिवरदान करने वाली पत्नी की भी हालत में सुधार है। सर्जरी करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि अभी लगभग दस दिन बेहद संवेदनशील है। दोनों को संक्रमण से बचाने के लिए पूरी कवायद की गयी है।
गैस्टोइंट्रोलॉजी के प्रमुख डा. अभिजीत चंद्रा के नेतृत्व में पहला लिवर प्रत्यारोपण बृहस्पतिवार को किया गया। इसमें दिल्ली के मैक्स हास्पिटल के विशेषज्ञों ने भी मदद की। लिवर दान भी मरीज की पत्नी ने ही किया है। लगभग 14 घंटे तक किये गये लिवर प्रत्यारोपण के बाद मरीज व उसकी पत्नी को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। दोनों वेंटिलेटर पर थे। दोनों पर विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम निगाह रखे हुए है।
आज 24 घंटे में ही लिवर प्रत्यारोपण हुए मरीज की हालत में तेजी से हो रहे सुधार के बाद वेंटिलेटर से हटा लिया गया। इसके साथ ही उसकी पत्नी की हालत में भी सुधार होने पर वेंटिलेटर से हटा दिया गया है। मैक्स हास्पिटल के विशेषज्ञों का कहना है कि सफल लाइव प्रत्यारोपण है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहली बार में लिवर का लाइव प्रत्यारोपण बेहद जटिल होता है। प्रत्यारोपण करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी अंग के प्रत्यारोपण करने के बाद कुछ दिन बेहद संवेदनशील होते है।
इस दौरान मरीज की इम्यूनोपॉवर कम होती है आैर संक्रमण से बचाना महत्वपूर्ण होता है। इस लिवर प्रत्यारोपण में दस दिन बेहद महत्वपूर्ण है।
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