विश्व भर में लगभग 5 लगभग से ज्यादा लोग लिवर से बंधित बिमारियों से पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस लीवर को हानि पहुँचाने वाला बेहद ही खतरनाक रोग है। इसका प्रमुख लक्षण ऊतकों की कोशिकाओं में सूजन होना, जिसे हम आम भाषा में पीलिया कहते है। इस बीमारी के ठीक होने में छह महीने से कम का समय भी लगता है एवं कभी कभी इससे ज्यादा का समय भी लगता है। यह बीमरी कुछ व्यक्तियों को जीवन पर्यन्त रहती है।
पीजीआई के गैस्ट्रोईट्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. वीएस सारस्वत ने बताया कि यह बीमारी विश्व की सबसे खतरनाक बिमारियों में से एक है। हेपेटाइटिस मुख्य रू प से शराब, संक्रमण, कोशिकाओं में सूजन एवं कभी- कभी औषधियों के दुष्प्रभाव से भी होने का खतरा रहता है।
हेपेटाइटिस मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते है- ए, बी, सी, डी, और ई।
हेपेटाइटिस को दो भागो में रखा गया है एक्स और जी –
- हेपेटाइटिस एक संक्रमित भोजन एवं पानी के सेवन से हो सकता है।
- हेपेटाइटिस बी यौन संक्रमण होने से हो सकता है।
- हेपेटाइटिस सी किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे खून का आदान-प्रदान करने से होता है।
- जो व्यक्ति हेपेटाइटिस बी से संक्रमित है वह व्यक्ति हेपेटाइटिस डी से भी संक्रमित हो सकता है।
- संक्रमित पानी के सेवन से हेपेटाइटिस ई सामान्य व्यक्ति को हो सकता है।
- हेपेटाइटिस ऐ,बी, सी,डी,और ई को वाइरस नहीं ठहराया जा सकता है, इसे हेपेटाइटिस एक्स कहते है।
- हेपेटाइटिस जी का परोक्ष लक्षण लू,दस्त,थकान और वजन का घट जाना आदि।
हेपेटाइटिस के लक्षण –
यदि लिवर में यदि सूजन हो जाये तो इसमें हेपेटाइटिस के लक्षण प्रतीत होने लगते हैं। अत्यधिक कमजोरी व थकान भूख में कमी, पाचन समस्याओं जैसे उलटी, आंख, मूत्र व त्वचा में पीलापन महसूस होने हेपेटाइटिस का अनुमान लगाया जा सकता है।
हेपेटाइटिस के कारण –
आयुर्वेद चित्कित्सा की दुनिया के सबसे पुराने विज्ञान के अनुसार हेपेटाइटिस के कारण इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। प्रतिरोधक शक्ति व शरीर की ऊर्जा ऊतकों इत्यादि शरीर के रख- रखाव पर निर्भर करते हैं। यदि प्रतिरक्षा क्षमता कम हो तो शरीर कमजोर व संक्रमित रहेगा। समयत: लोग जिगर के संक्रमण से ग्रसित कमजोर प्रतिरक्षा वाले शरीर के हो जाते है। हेपेटाइटिस संक्रमण मुख्य रूप से यौन संपर्क, खून, भोजन जैसे आम संक्रामक स्त्रोतों के माध्यम से हो जाता है। आयुर्वेद में पित्त में उत्तेजना भी हेपेटाइटिस की प्राथमिक प्रेरणा का कारक एवं अन्य रोग के रूप में माना जाता है। जिगर विकार होने का मुख्य कारण मसालेदार भोजन, तेल, खSा, नमकीन व बहुत गरम खाद्य पदार्थों का सेवन, शराब, तम्बाकू, मांस इत्यादि शरीर में पित्त को उत्तेजित करते हैं जिसके कारण लीवर में सूजन होने लगती है और पित्त में खून का बहाव सही तरीके से नहीं हो पता जिससे आंखों व त्वचा पर दाग पड़ने लगते हैं । दिन के समय अत्यधिक सोना, शारीरिक, भय, क्रोध और तनाव जैसे मनोविज्ञानिक करक भी जिगर की समस्यों को जन्म दाता हो सकते हैं।
आहार एवं जीवन शैली
- गरम मसालेदार भोजन व भारी भोजन से बचें।
- शाकाहारी भोजन का सेवन करें ।
- मैदा, पॉलिशड राइस, व बहुत मात्रा में सरसों का तेल, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, हींग, मटर, पेस्ट्री, चाकलेट, कोल्ड ड्रिंक से भी बचें।
- गेहूं का आटा, आम, चावल, केले, टमाटर, अमला, अंगूर, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का सेवन करना चाहिए।
- समय- समय पर आराम करना चाहिए ।
- अनावश्यक व्यायाम व चिंता और क्रोध के रूप में तनाव पूर्ण स्थिति से बचें। धूप में अधिक कार्य न करें।
विश्व में एक लाख लोग हेपेटाइटिस से मरते हैं –
विश्व में हर12 वां व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या सी से ग्रसित होता है और वर्ष भर में लगभग एक मिलियन व्यक्ति इसके कारण मौत के शिकार हो रहे हैं। समय पर जांच एवं उपचार हो जाय तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ सारस्वत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हेपेटाइटिस बी के लगभग 8० लाख तथा हेपेटाइटिस सी के लगभग 25 लाख मरीज हैं। अधिकांश व्यक्ति जो इस वायरस से प्रभावित होते हैं उनको इसके लक्षणों के बारे में पता ही नहीं चल पाता और यहां तक कि उनका लिवर भी क्षतिग्रस्त हो जाता है। अधिक समय हो जाने पर उनका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका होता है जिसको सिरोसिस कहते हैं। लिवर सिरोसिस होने से जान को खतरा रहता है क्योंकि इससे रक्तस्राव, पेट में पानी भर जाना, लिवर कैंसर अथवा कोमा में चले जाना जैसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।
लक्षण
गाढ़ी पीली पेशाब होना, बुखार आना, आंखों में पीलापन, जल्दी थकान महसूस होना, भूख न लगना।
बचाव
सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहिए, दूसरों का टूथब्रश, ब्लेड, सुई एवं संक्रमित चिकित्सकीय उपकरणों का इस्तेमाल न करें। उन्होंने ने बताया कि हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन हेपेटाइटिस सी से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
लिवर कैंसर और सिरोसिस बेहतर विकल्प लिवर ट्रांसप्लांट –
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के गेस्ट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अंशुमान ने बताया कि हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं उनमें से केवल 3० फीसदी लोगों को ही लिवर सिरोसिस हो सकता है। वहीं वह लोग जिन्हें हेपेटाइटिस सी होता है उनमें शत प्रतिशत संभावना होती है कि उन्हें लिवर सिरोसिस होगा। वहीं उन्होंने बताया कि जहां हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन मौजूद हैं लेकिन हेपेटाइटिस सी की कोई वैक्सीन नहीं आई है।
उन्होंने बताया कि अगर हेपेटाइटिस सी और बी से लिवर सिरोसिस की संभावना बढ़ जाती है जिसका कैंसर में बदलने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं एचआईवी और टीबी के मरीजों में भी हेपेटाइटिस के होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है। जिससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। कैंसर होने पर दवाओं के अलावा अन्य कई इलाज मौजूद हैं। लिवर कैंसर होने पर कीमोथेरपी, रेडियोथेरेपी के अलावा सर्जरी भी की जाती है। वहीं लिवर ट्रांसप्लांट भी आज की तारीख में सबसे अच्छा इलाज है। लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कैंसर खत्म होने की संभावना 3० प्रतिशत तक हो जाती है। राजधानी में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा अभी पीजीआई में मौजूद है और इससे मरीज के ठीक होने की संभावना भी बढ़ जाती है। लिवर ट्रांसप्लांट के बाद भी मरीज को पोस्ट एक्पोजर से बचाने के लिए इम्युनोग्लोबयुलिन दी जाती है।