लखनऊ । जिन मरीजों के पैर में दर्द और सूजन की शिकायत रहती हैं ,उन लोगों में वैरिकोज वेन्स डिजीज प्रमुख कारण हो सकता हैं लेकिन अगर मरीज समय से सुपर स्पेशियलिटी के चिकित्सक के सम्पर्क पर पहुंच जाने पर उसका इलाज दवा से ही ठीक हो सकता हैं।
यह बात संजय गांधी पी जी आई के एच जी खुराना सभागार में शुक्रवार को शल्य चिकित्सा प्रभाग वेन्स एसोसिएशन आफ इंडिया और भारतीय शल्य चिकित्सक संघ उत्तर प्रदेश चैप्टर के सहयोग की एक दिवसीय सी एम ई की कार्यशाला के संयोजक जनरल अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ ब्रजेश सिंह ने दी।
जनरल अस्पताल का शल्य चिकित्सा प्रभारी डॉ. ब्राजेश सिंह ने बताया कि वैरिकोज़ वेन्स, डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) और क्रोनिक विनस इंसफेनसी जैसी बीमारियाँ न केवल काफी रुग्णता का कारण बनती हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता और उत्पादकता को भी प्रभावित करती हैं।
जीवनशैली में बदलाव, बढ़ती उम्र और बढ़ती जागरूकता के साथ, शिरापरक विकारों का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में शिक्षा, जागरूकता और कौशल संवर्धन सभी कार्यरत शल्य चिकित्सकों और स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं के लिए आवश्यक है।
यह सीएमई, शिरा रोग प्रबंधन में क्षमता निर्माण, व्यावसायिक विकास और सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार के प्रति पीजीआई, एएसआई-यूपी चैप्टर और भारतीय शिरा संघ की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। देश भर के प्रमुख संकाय सदस्यों, डॉ. मलय पटेल, डॉ. अजय खन्ना, डॉ. रावुल जिंदल, डॉ. जयंत दास आदि मौजूद थे।