लखनऊ। कार्डियक वस्कुलर थोरेसिक सर्जरी (सीवीटीएस) के विभागाध्यक्ष रह चुके डा. शेखर टंडन तनाव में चल रहे थे! विभागीय सूत्रों की माने तो वह निलम्बन निरस्त हो जाने के बाद केजीएमयू प्रशासन द्वारा तैनाती न दिये जाने से तनाव में चल रहे थे। हालांकि केजीएमयू प्रशासन का तर्क है कि नियमानुसार ही सभी कार्य किये जा रहे थे। सीवीटीएस विभाग में वर्चस्व की जंग कई वर्षो से चल रही है। विभाग के प्रमुख के पद पर तैनाती के लिए होड़ मची हुई है। बताते है कि डा. शेखर टंडन जब वर्ष 2016 में केजीएमयू वापस लौटे तो उन्हें विभाग प्रमुख बना दिया गया। परन्तु डा. एस के सिह ने उनके विभाग पद पर तैनाती को चुनौती देते हुए विभाग प्रमुख हटाने की मांग की थी।
केजीएमयू कार्यालय पहुंचा यह विवाद का हल न निकलने पर राजभवन सभी दस्तावेज भेज कर समस्या का निराकरण करने का अनुरोध किया था। हालांकि अभी तक इसका निराकरण नहीं हो पाया था। इस बीच केजीएमयू का कुलपति का पद सम्हालते ही प्रो. एमएलबी भट्ठ ने डा. टंडन को विभाग प्रमुख के बाद से हटाकर दोबारा डा. एस के सिंह को तैनात कर दिया गया। इसके बाद भी आंतरिक कलह बनी रही आैर डा. शेखर टंडन को अगस्त 2018 में निलम्बित कर दिया गया। अपने निलम्बन को न्यायालय में चुनौती देते हुए आरोपों को निराधार बताया था। बताया जाता है कि कुछ समय बाद उनके निलम्बन को गलत बताते हुए ज्वाइन कराने के लिए केजीएमयू प्रशासन को कहा था।
बताते है कि इसके बाद भी केजीएमयू प्रशासन ने डा.टंडन को ज्वाइन नहीं कराया था। निर्देश का पालन नहीं होने पर न्यायालय ने केजीएमयू प्रशासन को फटकार लगायी थी। इसके बाद किसी तरह केजीएमयू प्रशासन ने डा. टंडन को ज्वाइन कराया था। बताते है। बताते है कि इसके बाद से डा. शेखर टंडन तनाव में रहने लगे थे। उनका सेवानिवृत्ति भी दिसम्बर में होने वाली थी।
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