लखनऊ । वर्ष 2040 तक किडनी खराब होने के मामले पूरी दुनिया में होने वाली मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण हो जाएंगे। विश्व किडनी दिवस के मौके पर ‘किडनी से पीड़ित रहकर स्वस्थ जीवन जीना’ का थीम पर चलते हुए इस बात की शिक्षा और जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। जिन मरीजों की किडनी खराब हो चुकी है। ऐसे मरीजों के लिए सबसे बड़ी बाधा उन्हें समय पर डायलिसिस न मिलना है क्यों कि लंबे समय से डायलिसिस उपकरणों की कमी के साथ-साथ कोरोना महामारी के दौरान योग्य स्टाफ का अभाव बना हुआ है।
हालांकि प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम (पीएमएनडीपी) के तहत घर पर ही डायलिसिस उपचार के लिए आधुनिक और सुविधा जनक तकनीक पेरीटोनियल डायलिसिस (पीडी) को शामिल करने का फैसला किया है, जिससे खराब किडनी वाले मरीजों को अपने घर पर ही इलाज के इस किफायती और सरल विकल्प की सुविधा मिल रही है। पीएमएनडीपी में पीडी को शामिल कर सरकार ने संसाधनों को प्रभावशाली इस्तेमाल करते हुए इलाज पर होने वाले संपूर्ण खर्च को बहुत कम कर दिया है, जिससे खराब किडनी वाले मरीजों को आसानी से यह सेवा उपलब्ध हो जाएगी।
मरीज राजेश कुमार (परिवर्तित नाम) ने कहा, ‘कोविड-19 के कारण डायलिसिस कराने वाले दुनिया भर के मरीजों की देखभाल और इलाज प्रभावित हुआ है। सीकेडी मरीज होने के कारण अस्पताल में लंबे समय तक डायलिसिस कराने के लिए मुझे अपने डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट मिलना बहुत मुश्किल हो गया था। मुझे घर पर ही पीडी कराने के बारे में बताया गया और मैंने रिमोट पेशेंटमॉनिटरिंग (आरपीएम) प्लेटफॉर्म के जरिये पीडी से अपना उपचार कराना शुरू किया जिससे मुझे सहयोग करने वाले स्वास्थ्य कर्मी भी मेरा डायलिसिस डाटा देख सकते हैं।