केजीएमयू ट्रामा सेंटर में सीलन बढ़ा सकता है संक्रमण!

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का ट्रामा सेंटर में सिर्फ खतरनाक फंगस कैडिडा आरिस के ही चपेट में नहीं आया। बल्कि सेंटर की दीवारों पर जगह- जगह सीलन, छतों से टपकता पानी विभिन्न प्रकार फंगस के पनपने का मौका दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कहीं भी सीलन लगातार बनी रहती है, तो मरीज ही नहीं तीमारदार भी संक्रमण की चपेट में आ सकते है।

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ट्रामा सेंटर में कैजुल्टी सहित सभी प्रमुख विभाग न्यूरो सर्जरी, आर्थोपैडिक, मेडिसिन विभाग , बालरोग विभाग, ट्रामा सर्जरी के अलावा ट्रामा वेंटिलेटर यूनिट, वेंटिलेटर यूनिट भी मौजूद है। जहां पर लगातार मरीजों की वेंटिग बनी रहती है। यहीं नही बाल रोग के वार्ड में संवेदनशील एनआईसीयू ,पीआईसीयू के अलावा अलग- अलग विभागों में आईसीयू भी मौजूद है। जहां पर गंभीर मरीज मौजूद रहते है। यहीं नही पांच आपरेशन थियेटर भी है। जहां पर इमरजेंसी सर्जरी की जाती है। कुछ दिन पहले ट्रामा सर्जरी विभाग में मरीज के ठीक न होने पर वेंटिलेटर पर भर्ती करने के बाद मरीज की जांच की गयी, तो पता चला कि वह विश्व के जाने माने खतरनाक फंगस कैडिडा आरिस की चपेट में मरीज है।

इसके बाद संदिग्ध मरीजों की ब्लड जांच करायी गयी तो पता चला कि तीन मरीजों में खतरनाक फंगस की चपेट में है। इनमें इस फं गस से एक मरीज की मौत भी हो गयी, जबकि दूसरा मरीज की हालत में सुधार है। इसके बाद ट्रामा सेंटर में मरीजों का इलाज करने जाने वालों ने वरिष्ठों डाक्टरों में चर्चा बनी है कि पूरा ट्रामा सेंटर कही न कहीं दीवारों पर सीलन नमी बनी रहती है, यही नहीं सेंट्रल आक्सीजन की सीलिंग से लगातार पानी जगह- जगह टपकता रहता है। जमीन पर बाल्टियां रखी रहती है। यहां पर छतों पर नमी के कारण सेंट्रल एसी का फालसीलिंग खराब हो रहा है।

अगर वरिष्ठ डाक्टरों की माने तो सीलन के कारण कैं डिडा, स्परजिलॉसिस, राइजोपस, म्यूकर आदि फंगस बनपते रहते है, जोकि संवेदनशील स्थानों पर गंभीर मरीजों में संक्रमण फैला सकते है। इससे मरीजों में त्वचा रोग के अलावा ब्लड में संक्रमण फैला सकते है। इस बारे में केजीएमयू प्रवक्ता डा. संदीप तिवारी का कहना है कि क्रिटकल केयर, आईसीयू में एअरफिल्टर लगा रहता है।मरीज को कोई दिक्कत नहीं हो सकती है। इसके अलावा इन स्थानों पर कहीं भी सीलन नहीं है। इसके अलावा सेंट्रल एसी चलने के कारण कुछ स्थानों पर नमी बन जाती है।

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