Kgmu- क्वीन मेरी : रुटीन स्क्रीनिंग में लगभग 10% निकलती हैं प्री कैंसर

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स्क्रीनिंग में देरी बन सकती है सर्वाइकल कैंसर का कारण

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लखनऊ। सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी बनता जा रहा है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) से होने वाले कैंसर को समय पर पहचान और उपचार से इसे रोका जा सकता है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गाइनेकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी विभाग में रोजाना करीब 20 महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाती है,जिनमें से करीब 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर से पहले (प्री-कैंसर) होने वाली समस्या सामने आती हैं, जिनका समय रहते इलाज किया जाता है।

यह जानकारी विभाग प्रमुख डॉ. निशा सिंह ने रविवार को केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित कार्यशाला में दी। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में केजीएमयू की कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद उपस्थित थी। गाइनेकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में सर्वाइकल कैंसर की नवीन जानकारियों का आदान- प्रदान की गयी। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आये करीब 170 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। डॉ. निशा सिंह ने बताया कि समय रहते महिलाओं की स्क्रीनिंग कर ली जाये तो उन्हें सर्वाइकल कैंसर के गंभीर खतरे से बचाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि महिलाओं में झिझक एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। वह जांच और इलाज के लिए पहले निकल कर सामने नहीं आती हैं और जब आती है तब तक बहुत देर हो जाती है। कटक से आईं डॉ. भाग्यलक्ष्मी नायक ने बताया कि गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर के लक्षण जब सामने आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इसके लिए जरूरी है कि समय पर स्क्रीनिंग करायें और इस गंभीर बीमारी से छुटकारा पायें। दिल्ली एम्स से आईं डॉ. सीमा ने बताया कि सभी विवाहित महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए जांच जरूर करानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि साल 2022 का आंकड़ा है कि करीब 75 हजार महिलाओं ने इस बीमारी से दम तोड़ दिया था। उन्होंने बताया कि हर साल हजारों महिलायें इस वायरस की चपेट में आ रही हैं। जांच और स्क्रीनिंग आसान होने के बाद भी जनसंख्या के मुकाबले केवल दो प्रतिशत महिलायें ही स्क्रीनिंग के लिए सामने आती हैं। उन्होंने बताया कि एचपीवी टीकाकरण और नियमित स्क्रीनिंग सर्वाइकल कैंसर से बचाव के सबसे प्रभावी तरीके हैं। 9 से 45 वर्ष की आयु की महिलाओं एचपीवी वैक्सीन उपलब्ध है।

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