लखनऊ। सस्ती दवाओं को बाहर जाने से रोकने के लिए में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसके तहत काउंटर पर तैनात कर्मचारियों की निर्देश दिये गये है। अब रेट कान्ट्रेक्ट (आरसी) की लिस्ट में शामिल दवाएं काउंटर पर उपलब्ध रहने की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट पर थमा दी गयी हैं। निर्देश है कि फार्मासिस्ट समाप्त होने से पहले मेन स्टोर में दवाओं की मांग कर लें। इससे मरीजों को दवाओं के लिए दिक्कत नहीं होगी।
वर्तमान में पन्द्रह हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के स्टोर संचालित हो रहे हैं। इनमें 30 से 70 प्रतिशत कम कीमत पर मरीजों को दवाएं मिल जाती हैं।
बताते चले कि बीते दिनों एसटीएफ ने सस्ती दवाओं को बाजार में बेचने वाले गिरोह का पकड़ा था। इसमें एचआरएफ स्टोर में तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत का खुलासा हुआ था। अब तक दस आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा चुका है।
अब मरीजों तक सस्ती दवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए व्यवस्थाओं में सुधार किया गया है। एचआरएफ की डॉ. अनुराधा निश्चल की तरफ से सभी स्टोर को आदेश भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि स्टोर में तैनात सभी फार्मासिस्ट दवाएं जो रेट कॉन्ट्रैक्ट में हैं, उन्हंे काउंटर पर उपलब्ध कराने के साथ ही सभी काउंटर पर दवाओं की मांग का रजिस्टार बनाया जाए। उसकी एक प्रति एचआरएफ के मुख्य स्टोर पर ईमेल के माध्यम से भेजा जाए। डॉक्टर का पर्चा भी संरक्षित किया जाए। पर्चे में यूएचआईडी नम्बर का होना जरूरी है। फार्मासिस्ट पर स्टॉक और नकदी की पूरी जिम्मेदारी है।
प्रत्येक काउंटर पर कम से कम 10 दिनों की दवा का स्टाक होना चाहिए। बिकी दवा व सर्जिकल सामान की वापसी बिल के बिना न हो, ड्यूटी के दौरान की घटना की जानकारी तुरंत सेंट्रल स्टोर, केजीएमयू एचआरएफ कार्यालय को दी जाए। ऐसा न करने पर जिम्मेदारी ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों की होगी।