लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में ‘ करंट ट्रेंड्स इन जिनोमिक एंड मॉलिक्यूलर’ विषय पर आयोजित ‘फस्र्ट इंडो यूके ट्रेंनिंग कार्यशाला’ में तीसरे और अंतिम दिन आनुवंशिक बीमारियों को लेकर चर्चा की गई। कार्यशाला में मुख्य रूप से तीन विषय, हंड्रेड थाउजेंड जीनोम प्रोजेक्ट, बायो बैंकिंग के अलावा न्यू अप्रूव्ड मेडिसन पर चर्चा की गई। इसमें खास कर केजीएमयू में बायो बैकिंग शुरू करने पर जल्द प्रस्ताव दिये जाने को कहा गया।
कार्यशाला में कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी के प्रो. विलियम न्यूमैन ने हंड्रेड थाउजेड़ा जिनोम प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि यूके में उनके विभाग द्वारा एक लाख लोगों के जीन पर एक रिसर्च जारी है। इस रिसर्च के बाद अनुवांशिकी बीमारियों को पहले के मुकाबले समझने व उनके उपचार में आसानी होगी। यहां पर डॉ धावेंद्र कुमार ने कहा कि जो आनुवंशिक बीमारियां पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती हैं ऐसे में जेनेटिक्स में रिसर्च कर डीएनए में हुए किस प्रकार के बदलाव से यह बीमारियां चल रही है। इसके आधार पर उनका इलाज किया जा सकता है।
एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ टी एन ढोल ने बताया कि हमारे आसपास वायरस ही मौजूद है हम कह सकते हैं कि वायरस एपिडेमिक माहौल में हम जी रहे हैं ऐसे में वायरोलॉजी पर रिसर्च और उसे होने वाली बीमारियों के लिए इलाज ढूंढना आज के समय में बेहद जरूरी है पर इसके लिए एक बहुत बड़े अत्याधुनिक रिसर्च सेंटर की आवश्यकता है।
इस कार्यशाला में प्रो. इनएनुअल हेसेट ने बायो बैंकिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसके द्वारा टिशू, डीएनए, आरएनए को 5 से 10 साल के लिए स्टोर करने में मदद मिलेगी जिससे किसी कैंसर पेशेंट के इलाज के दौरान उसके जींस में हो रहे बदलाव के बारे में आसानी से जानकारी हासिल हो सकेगी। इस दौरान कार्यशाला की सह आयोजक डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि शीघ्र ही के.जी.एम.यू. में भी बायो बैंकिंग की शुरुआत की जाएगी। इस अवसर पर मुख्य रूप से के.जी.एम.यू. के कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट, प्रो. धावेंद्र कुमार, प्रो. रविंद्र के गर्ग समेत कई अन्य डॉक्टर एवं प्रोफेसर मौजूद रहे।
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