लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नेत्र रोग विभाग के निलंबित डॉक्टर की बहाली का आदेश जारी करने के कुछ समय बाद दोबारा निलंबित कर दिया गया। इस प्रकार के हुए आदेश व प्रकरण को लेकर चिकित्सक शिक्षकों में चर्चा बनी हुई है।
नेत्र विभाग की प्रमुख डॉ. अपजित कौर ने पांच जनवरी 2022 को कुलपति को पत्र लिखकर डॉ. गौरव कुमार की शिकायत की थी। आरोप है कि डॉ. गौरव कुमार ने बैठक में अनुशासनहीनता की थी। इसके बाद प्रकरण को कार्यपरिषद में रखा गया। कार्यपरिषद ने बहस के बाद डॉ. गौरव को निलंबित करने की संस्तुति की थी। डॉ. गौरव ने हाईकोर्ट की शरण में चले गये थे। कोर्ट ने 23 मई को कार्य परिषद के आदेश को निरस्त कर दिया था। आदेश में शिकायती पत्र को अगली बैठक में जांच के लिए रखने की अनुमति दी थी, इसके लिए शर्त तय की थी कि इस बैठक की अध्यक्षता कुलपति नहीं करेंगे। विभाग प्रमुख भी उसमें शामिल नहीं होगी।
इसके बाद तीन जून को केजीएमयू में कार्य परिषद की बैठक हुई। इसमें डॉ. गौरव के निलंबन के आदेश को निरस्त कर दिया गया। कुछ समय बाद प्रति कुलपति की अध्यक्षता में फिर बैठक हुई। बैठक में डॉ. गौरव के अनुशासनहीनता के प्रकरण को रखा गया। कमेटी ने डॉ. गौरव को निलंबित करने की संस्तुति कर दी। नतीजतन बहाली के बाद फिर से डॉ. गौरव के निलंबन का आदेश जारी किया गया।
केजीएमयू में असली तथ्यों को छुपाकर मृतक आश्रित कोटे की नौकरी हासिल करने पर केजीएमयू प्रशासन कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में केजीएमयू प्रशासन ने एक और कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया है। अब तक पांच कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा चुका है। कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी की तरफ से आदेश जारी किया गया है, आदेश में कहा गया है कि कर्मचारी आनंद कुमार मिश्रा ने असली तथ्यों को छिपाकर मृतक आश्रित कोटे में नौकरी प्राप्त की है। पत्र में यह भी कहा गया है कि आनंद के माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में थे। पिता की मृत्यु हो गई थी। मां सरकारी सेवा में हैं। इस तथ्य को छिपाकर आनंद ने नौकरी प्राप्त की।











