लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर सपोर्ट पर भर्ती एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा शिल्प चौधरी नौ दिन तक मौत से लड़ने के बाद आखिरकार जिंदगी की जंग हार गयी। छात्रा की मौत से उसके सहयोगियों में शोकाकुल हो गये है। हास्टल की साथी छात्राओं का रो-रोकर बुरा हाल है।
अभिभावकों के आंसू थम नही रहे हैं। उन्हें बस एक गम ही सता रहा है कि आखिर ऐसा क्या था कि बेटी को आत्म हत्या करनी पड़ी। पोस्टमार्टम के बाद शव परिवारीजनों के सौंप दिया गया।
गाजियाबाद निवासी शिल्पी केजीएमयू एमबीबीएस में यूजी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी। पहली नवम्बर को दोपहर क्लास के बाद सभी छात्राएं मेस में खाना खाने जा रही थी। शिल्पी अपने साथियों से बाद में खाना खाने की बात बोल कर सीधे हॉस्टल में अपने कमरे पर पहुंची। इसी बीच दूसरी छात्रा के पास इस छात्रा के इंजीनियर पिता विजेंद्र चौधरी का फोन आया। उन्होंने बेटी द्वारा फोन न उठाने की बात कहते हुए चिंता जताई थी।
इस पर दूसरी छात्रा उसके हॉस्टल में कमरे पर पहुंची आैर दरवाजा खटखटाया। दरवाजा भीतर से बंद था। वहां जब उसने खिड़की से कमरे के भीतर झांककर देखा तो उसने दुपट्टे से फांसी लगाये हुई थी। शोर मचाने पर कर्मचारियों ने दरवाजा तोड़कर उसे निकालकर तुरंत ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। उसे गंभीर हालत में क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती किया गया था। करीब नौ दिन छात्रा का इलाज चला। जिंदगी के लिए वह मौत से संघर्ष कर रही थीं। इस जंग में आखिर में मौत जीत गयी। बृहस्पतिवार को छात्रा की सांसें की डोर टूट गई।