कटे हाथ को सर्जरी से जोड़ दी बच्चे को नई जिंदगी

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निदेशक व वरिष्‍ठ क्रेनियोफेशियल एक्सपर्ट तथा प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना और उनकी एक्सपर्ट टीम ने विशेष सर्जरी कर 12 वर्षीय बच्‍चे का कटा हुआ हाथ जोड़ कर बच्चे को नई जिंदगी दे दी।

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इस बारे में डॉ वैभव खन्‍ना ने बताया कि 9 जुलाई को सीतापुर जिले के कुर्दौली गांव में दोपहर में चारा मशीन से काटते वक्त अलग हो चुके हाथ को सर्जरी जोड़ दिया।

आरा मशीन में 12 वर्षीय बालक सौरभ शुक्ला के दाहिने हाथ का सम्‍पूर्ण निचला हिस्सा कट गया। उन्‍होंने बताया कि जिस वक्‍त यह दुर्घटना हुई उस समय बच्‍चे के पिता लखनऊ में थे, वह वाहन चालक हैं, उन तक जैसे ही यह सूचना पहुंची उन्‍होंने तत्‍काल अपने वाहन मालिक अनुराग श्रीवास्‍तव को बताया और पूछा इस कोविड काल में बच्‍चे को ऐसी कौन सी जगह ले जायें जहां उसे तुरंत उपचार मिले, उन्‍होंने डॉ वैभव खन्‍ना से सम्‍पर्क किया तो उन्‍होंने तुरंत सावधानी बरतते हुए हेल्‍थ सिटी लाने की सलाह दी। जब तक बच्‍चा यहां लखनऊ पहुंचता तब तक डॉ वैभव ने सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी, साथ ही अपनी टीम में हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग, एनेस्‍थेटिस्‍ट डॉ सुबोध के साथ ही अन्‍य पैरामेडिकल स्‍टाफ अलर्ट हो गया।

डॉ खन्‍ना ने बताया कि बच्‍चे को अस्‍पताल इतनी बेहतर तरीके से सावधानी बरतते हुए लाया गया था कि जब बच्‍चा हॉस्पिटल पहुंचा तो उसके कटे हुए हाथ की स्थितियां बहुत अच्‍छी हालत में थीं। उन्‍होंने बताया कि प्‍लान्‍ड सर्जरी में पहले आवश्‍यक जांचें, जिसमें अब कोविड की जांच भी शामिल हो गयी है, करायी जाती हैं, लेकिन इस तरह की सर्जरी दुर्घटना होने के 4 से 6 घंटे में शुरू हो जानी चाहिये। इसलिए डॉ वैभव खन्‍ना के साथ ही डॉ संदीप गर्ग और डॉ सुबोध ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। डॉ वैभव खन्‍ना ने कहा कि इसके बाद कोविड को लेकर पूरी सावधानी बरतते हुए ,उसकी सर्जरी शुरू की गयी जो करीब 7 घंटे चली, सर्जरी सफल रही।

डॉ खन्ना ने कहा कि यहां पर बच्चे में गजब का आत्मविश्वास और हिम्मत थी। उन्होंने बताया कि बच्चे की स्थिति हतप्रभ करने वाली थी। बच्चा न तो रो रहा था, न ही चिल्ला रहा था बल्कि और पूरी हिम्मत रखे हुए थे और वह कह रहा था कि मुझे विश्वास है कि मेरा हाथ ठीक हो जाएगा।

वरिष्‍ठ क्रेनियो फेशियल सर्जरी प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना कटे हाथ को फि‍र से जोड़ने वाली सर्जरी के बारे में जानकारी देते

उन्होंने कहा कि मैं बच्चे के पिता की प्रशंसा करूंगा कि उन्होंने कटे हुए हाथ को बड़ी सावधानी पूर्वक पहले गीले कपड़े में लपेटकर उसे पॉलीथिन की पन्नी में पैक करके बाहर से बर्फ से ढंक कर रखा। उन्‍होंने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि कटे हुए अंग को सीधे बर्फ के संपर्क में नहीं रखना चाहिए क्‍योंकि इससे अंग की रक्त कोशिकाएं जम जाती हैं जिससे कि फि‍र प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पाता है। सर्जरी में कुल खर्च के बारे में उन्‍होंने कहा कि अभी कोई शुल्‍क नहीं लिया गया है, उसके पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं इसलिए उनसे सर्जरी में आए खर्च की कोई बात नहीं की गयी है, वैसे इस तरह की परिस्थिति में इलाज के खर्च के लिए मुख्‍यमंत्री राहत कोष से मरीज के परिजन अगर मदद मांगें तो मिल सकती है। सर्जरी टीम में वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ बच्चे की हड्डी को विशेष तकनीक से जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि कटे हुए हाथ की हड्डी के एक सिरे से दूसरे सिरे को मिलाते हुए सावधानीपूर्वक यह कार्य किया जाता है , ताकि किसी भी प्रकार की अंदरूनी व बाहरी विकृति न आ सके। एनेस्थीसिया एक्सपर्ट डॉक्टर सुबोध ने बताया कि बच्चे का हीमोग्लोबिन 5 से थोड़ा ज्यादा था, इस हालत में बेहोशी देने में खतरा रहता है और अत्यंत सावधानी की जरूरत होती है ,लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इंतजार नहीं किया जा सकता था ऐसे में एनेस्थीसिया विशेषज्ञों ने बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया। इस मौके पर बच्‍चे ने भी पूछे गये सवालों का जवाब दिया।

बच्चे के सफल ऑपरेशन में डॉ वैभव खन्ना व डॉ संदीप गर्ग के संयुक्त निर्देशन में टीम के अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर आदर्श कुमार, डॉक्टर रोमेश कोहली, डॉक्टर एस पी एस तुलसी, डॉक्टर प्रमेश अग्रवाल, डॉक्टर सुबोध कुमार, डॉक्टर पुलकित सिंह का योगदान अति प्रशंसनीय रहा।

अगर कट जाये अंग तो यह जरूर करें

डॉ वैभव खन्‍ना का कहना कि इस तरह के हालात में हर एक पल मायने रखता है और बिना कोई वक्त बर्बाद किए मरीज को तत्काल किसी बड़े हॉस्पिटल पर ले जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सर्जरी घटना के 4 से 6 घंटे के अंदर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए ।उन्होंने बताया उंगली कटने पर 6 घंटे तक तथा हाथ कटने पर 4 घंटे के अंदर ऑपरेशन शुरू हो जाए तो बेहतर है। उन्होंने कहा कि मशीनों पर कार्य करने के दौरान अक्सर दुर्घटनावश लोगों के अंगों का मशीन के संपर्क में आ जाने से शरीर से अलग हो जाता है। ऐसी घटनाओं के उपरांत कटे हुए अंग को अति सावधानीपूर्वक भीगे हुए कपड़े में लपेटकर उसे किसी साफ-सुथरे प्लास्टिक की थैली में डालकर उसके बाद बर्फ के डिब्बे में रखना चाहिए, जिससे कि उसकी कोशिकाएं जीवित रहें, कटे हुए अंग व मरीज को अविलंब किसी विशिष्ट चिकित्सा केंद्र में स्थानांतरित कर देना चाहिए जिससे कि अंग का प्रत्यारोपण समय से पहले आरंभ हो जाए।

कटे हाथ को सर्जरी से जोड़ दी बच्चे को नई जिंदगी

लखनऊ। गोमती नगर स्थित हेल्‍थ सिटी में अस्‍पताल के निदेशक व वरिष्‍ठ क्रेनियोफेशियल एक्सपर्ट तथा प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना और उनकी एक्सपर्ट टीम ने विशेष सर्जरी कर 12 वर्षीय बच्‍चे का कटा हुआ हाथ जोड़ कर बच्चे को नई जिंदगी दे दी।

इस बारे में डॉ वैभव खन्‍ना ने बताया कि 9 जुलाई को सीतापुर जिले के कुर्दौली गांव में दोपहर में चारा मशीन से काटते वक्त अलग हो चुके हाथ को सर्जरी जोड़ दिया।

आरा मशीन में 12 वर्षीय बालक सौरभ शुक्ला के दाहिने हाथ का सम्‍पूर्ण निचला हिस्सा कट गया। उन्‍होंने बताया कि जिस वक्‍त यह दुर्घटना हुई उस समय बच्‍चे के पिता लखनऊ में थे, वह वाहन चालक हैं, उन तक जैसे ही यह सूचना पहुंची उन्‍होंने तत्‍काल अपने वाहन मालिक अनुराग श्रीवास्‍तव को बताया और पूछा इस कोविड काल में बच्‍चे को ऐसी कौन सी जगह ले जायें जहां उसे तुरंत उपचार मिले, उन्‍होंने डॉ वैभव खन्‍ना से सम्‍पर्क किया तो उन्‍होंने तुरंत सावधानी बरतते हुए हेल्‍थ सिटी लाने की सलाह दी। जब तक बच्‍चा यहां लखनऊ पहुंचता तब तक डॉ वैभव ने सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी, साथ ही अपनी टीम में हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग, एनेस्‍थेटिस्‍ट डॉ सुबोध के साथ ही अन्‍य पैरामेडिकल स्‍टाफ अलर्ट हो गया।

डॉ खन्‍ना ने बताया कि बच्‍चे को अस्‍पताल इतनी बेहतर तरीके से सावधानी बरतते हुए लाया गया था कि जब बच्‍चा हॉस्पिटल पहुंचा तो उसके कटे हुए हाथ की स्थितियां बहुत अच्‍छी हालत में थीं। उन्‍होंने बताया कि प्‍लान्‍ड सर्जरी में पहले आवश्‍यक जांचें, जिसमें अब कोविड की जांच भी शामिल हो गयी है, करायी जाती हैं, लेकिन इस तरह की सर्जरी दुर्घटना होने के 4 से 6 घंटे में शुरू हो जानी चाहिये। इसलिए डॉ वैभव खन्‍ना के साथ ही डॉ संदीप गर्ग और डॉ सुबोध ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। डॉ वैभव खन्‍ना ने कहा कि इसके बाद कोविड को लेकर पूरी सावधानी बरतते हुए ,उसकी सर्जरी शुरू की गयी जो करीब 7 घंटे चली, सर्जरी सफल रही।

डॉ खन्ना ने कहा कि यहां पर बच्चे में गजब का आत्मविश्वास और हिम्मत थी। उन्होंने बताया कि बच्चे की स्थिति हतप्रभ करने वाली थी। बच्चा न तो रो रहा था, न ही चिल्ला रहा था बल्कि और पूरी हिम्मत रखे हुए थे और वह कह रहा था कि मुझे विश्वास है कि मेरा हाथ ठीक हो जाएगा।

वरिष्‍ठ क्रेनियो फेशियल सर्जरी प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना कटे हाथ को फि‍र से जोड़ने वाली सर्जरी के बारे में जानकारी देते

उन्होंने कहा कि मैं बच्चे के पिता की प्रशंसा करूंगा कि उन्होंने कटे हुए हाथ को बड़ी सावधानी पूर्वक पहले गीले कपड़े में लपेटकर उसे पॉलीथिन की पन्नी में पैक करके बाहर से बर्फ से ढंक कर रखा। उन्‍होंने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि कटे हुए अंग को सीधे बर्फ के संपर्क में नहीं रखना चाहिए क्‍योंकि इससे अंग की रक्त कोशिकाएं जम जाती हैं जिससे कि फि‍र प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पाता है। सर्जरी में कुल खर्च के बारे में उन्‍होंने कहा कि अभी कोई शुल्‍क नहीं लिया गया है, उसके पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं इसलिए उनसे सर्जरी में आए खर्च की कोई बात नहीं की गयी है, वैसे इस तरह की परिस्थिति में इलाज के खर्च के लिए मुख्‍यमंत्री राहत कोष से मरीज के परिजन अगर मदद मांगें तो मिल सकती है। सर्जरी टीम में वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ बच्चे की हड्डी को विशेष तकनीक से जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि कटे हुए हाथ की हड्डी के एक सिरे से दूसरे सिरे को मिलाते हुए सावधानीपूर्वक यह कार्य किया जाता है , ताकि किसी भी प्रकार की अंदरूनी व बाहरी विकृति न आ सके। एनेस्थीसिया एक्सपर्ट डॉक्टर सुबोध ने बताया कि बच्चे का हीमोग्लोबिन 5 से थोड़ा ज्यादा था, इस हालत में बेहोशी देने में खतरा रहता है और अत्यंत सावधानी की जरूरत होती है ,लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इंतजार नहीं किया जा सकता था ऐसे में एनेस्थीसिया विशेषज्ञों ने बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया। इस मौके पर बच्‍चे ने भी पूछे गये सवालों का जवाब दिया।

बच्चे के सफल ऑपरेशन में डॉ वैभव खन्ना व डॉ संदीप गर्ग के संयुक्त निर्देशन में टीम के अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर आदर्श कुमार, डॉक्टर रोमेश कोहली, डॉक्टर एस पी एस तुलसी, डॉक्टर प्रमेश अग्रवाल, डॉक्टर सुबोध कुमार, डॉक्टर पुलकित सिंह का योगदान अति प्रशंसनीय रहा।

अगर कट जाये अंग तो यह जरूर करें

डॉ वैभव खन्‍ना का कहना कि इस तरह के हालात में हर एक पल मायने रखता है और बिना कोई वक्त बर्बाद किए मरीज को तत्काल किसी बड़े हॉस्पिटल पर ले जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सर्जरी घटना के 4 से 6 घंटे के अंदर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए ।उन्होंने बताया उंगली कटने पर 6 घंटे तक तथा हाथ कटने पर 4 घंटे के अंदर ऑपरेशन शुरू हो जाए तो बेहतर है। उन्होंने कहा कि मशीनों पर कार्य करने के दौरान अक्सर दुर्घटनावश लोगों के अंगों का मशीन के संपर्क में आ जाने से शरीर से अलग हो जाता है। ऐसी घटनाओं के उपरांत कटे हुए अंग को अति सावधानीपूर्वक भीगे हुए कपड़े में लपेटकर उसे किसी साफ-सुथरे प्लास्टिक की थैली में डालकर उसके बाद बर्फ के डिब्बे में रखना चाहिए, जिससे कि उसकी कोशिकाएं जीवित रहें, कटे हुए अंग व मरीज को अविलंब किसी विशिष्ट चिकित्सा केंद्र में स्थानांतरित कर देना चाहिए जिससे कि अंग का प्रत्यारोपण समय से पहले आरंभ हो जाए।

कटे हाथ को सर्जरी से जोड़ दी बच्चे को नई जिंदगी

लखनऊ। गोमती नगर स्थित हेल्‍थ सिटी में अस्‍पताल के निदेशक व वरिष्‍ठ क्रेनियोफेशियल एक्सपर्ट तथा प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना और उनकी एक्सपर्ट टीम ने विशेष सर्जरी कर 12 वर्षीय बच्‍चे का कटा हुआ हाथ जोड़ कर बच्चे को नई जिंदगी दे दी।

इस बारे में डॉ वैभव खन्‍ना ने बताया कि 9 जुलाई को सीतापुर जिले के कुर्दौली गांव में दोपहर में चारा मशीन से काटते वक्त अलग हो चुके हाथ को सर्जरी जोड़ दिया।

आरा मशीन में 12 वर्षीय बालक सौरभ शुक्ला के दाहिने हाथ का सम्‍पूर्ण निचला हिस्सा कट गया। उन्‍होंने बताया कि जिस वक्‍त यह दुर्घटना हुई उस समय बच्‍चे के पिता लखनऊ में थे, वह वाहन चालक हैं, उन तक जैसे ही यह सूचना पहुंची उन्‍होंने तत्‍काल अपने वाहन मालिक अनुराग श्रीवास्‍तव को बताया और पूछा इस कोविड काल में बच्‍चे को ऐसी कौन सी जगह ले जायें जहां उसे तुरंत उपचार मिले, उन्‍होंने डॉ वैभव खन्‍ना से सम्‍पर्क किया तो उन्‍होंने तुरंत सावधानी बरतते हुए हेल्‍थ सिटी लाने की सलाह दी। जब तक बच्‍चा यहां लखनऊ पहुंचता तब तक डॉ वैभव ने सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी, साथ ही अपनी टीम में हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग, एनेस्‍थेटिस्‍ट डॉ सुबोध के साथ ही अन्‍य पैरामेडिकल स्‍टाफ अलर्ट हो गया।

डॉ खन्‍ना ने बताया कि बच्‍चे को अस्‍पताल इतनी बेहतर तरीके से सावधानी बरतते हुए लाया गया था कि जब बच्‍चा हॉस्पिटल पहुंचा तो उसके कटे हुए हाथ की स्थितियां बहुत अच्‍छी हालत में थीं। उन्‍होंने बताया कि प्‍लान्‍ड सर्जरी में पहले आवश्‍यक जांचें, जिसमें अब कोविड की जांच भी शामिल हो गयी है, करायी जाती हैं, लेकिन इस तरह की सर्जरी दुर्घटना होने के 4 से 6 घंटे में शुरू हो जानी चाहिये। इसलिए डॉ वैभव खन्‍ना के साथ ही डॉ संदीप गर्ग और डॉ सुबोध ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। डॉ वैभव खन्‍ना ने कहा कि इसके बाद कोविड को लेकर पूरी सावधानी बरतते हुए ,उसकी सर्जरी शुरू की गयी जो करीब 7 घंटे चली, सर्जरी सफल रही।

डॉ खन्ना ने कहा कि यहां पर बच्चे में गजब का आत्मविश्वास और हिम्मत थी। उन्होंने बताया कि बच्चे की स्थिति हतप्रभ करने वाली थी। बच्चा न तो रो रहा था, न ही चिल्ला रहा था बल्कि और पूरी हिम्मत रखे हुए थे और वह कह रहा था कि मुझे विश्वास है कि मेरा हाथ ठीक हो जाएगा।

वरिष्‍ठ क्रेनियो फेशियल सर्जरी प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना कटे हाथ को फि‍र से जोड़ने वाली सर्जरी के बारे में जानकारी देते

उन्होंने कहा कि मैं बच्चे के पिता की प्रशंसा करूंगा कि उन्होंने कटे हुए हाथ को बड़ी सावधानी पूर्वक पहले गीले कपड़े में लपेटकर उसे पॉलीथिन की पन्नी में पैक करके बाहर से बर्फ से ढंक कर रखा। उन्‍होंने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि कटे हुए अंग को सीधे बर्फ के संपर्क में नहीं रखना चाहिए क्‍योंकि इससे अंग की रक्त कोशिकाएं जम जाती हैं जिससे कि फि‍र प्रत्यारोपण संभव नहीं हो पाता है। सर्जरी में कुल खर्च के बारे में उन्‍होंने कहा कि अभी कोई शुल्‍क नहीं लिया गया है, उसके पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं इसलिए उनसे सर्जरी में आए खर्च की कोई बात नहीं की गयी है, वैसे इस तरह की परिस्थिति में इलाज के खर्च के लिए मुख्‍यमंत्री राहत कोष से मरीज के परिजन अगर मदद मांगें तो मिल सकती है। सर्जरी टीम में वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ संदीप गर्ग ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ बच्चे की हड्डी को विशेष तकनीक से जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि कटे हुए हाथ की हड्डी के एक सिरे से दूसरे सिरे को मिलाते हुए सावधानीपूर्वक यह कार्य किया जाता है , ताकि किसी भी प्रकार की अंदरूनी व बाहरी विकृति न आ सके। एनेस्थीसिया एक्सपर्ट डॉक्टर सुबोध ने बताया कि बच्चे का हीमोग्लोबिन 5 से थोड़ा ज्यादा था, इस हालत में बेहोशी देने में खतरा रहता है और अत्यंत सावधानी की जरूरत होती है ,लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इंतजार नहीं किया जा सकता था ऐसे में एनेस्थीसिया विशेषज्ञों ने बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया। इस मौके पर बच्‍चे ने भी पूछे गये सवालों का जवाब दिया।

बच्चे के सफल ऑपरेशन में डॉ वैभव खन्ना व डॉ संदीप गर्ग के संयुक्त निर्देशन में टीम के अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर आदर्श कुमार, डॉक्टर रोमेश कोहली, डॉक्टर एस पी एस तुलसी, डॉक्टर प्रमेश अग्रवाल, डॉक्टर सुबोध कुमार, डॉक्टर पुलकित सिंह का योगदान अति प्रशंसनीय रहा।

अगर कट जाये अंग तो यह जरूर करें

डॉ वैभव खन्‍ना का कहना कि इस तरह के हालात में हर एक पल मायने रखता है और बिना कोई वक्त बर्बाद किए मरीज को तत्काल किसी बड़े हॉस्पिटल पर ले जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सर्जरी घटना के 4 से 6 घंटे के अंदर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए ।उन्होंने बताया उंगली कटने पर 6 घंटे तक तथा हाथ कटने पर 4 घंटे के अंदर ऑपरेशन शुरू हो जाए तो बेहतर है। उन्होंने कहा कि मशीनों पर कार्य करने के दौरान अक्सर दुर्घटनावश लोगों के अंगों का मशीन के संपर्क में आ जाने से शरीर से अलग हो जाता है। ऐसी घटनाओं के उपरांत कटे हुए अंग को अति सावधानीपूर्वक भीगे हुए कपड़े में लपेटकर उसे किसी साफ-सुथरे प्लास्टिक की थैली में डालकर उसके बाद बर्फ के डिब्बे में रखना चाहिए, जिससे कि उसकी कोशिकाएं जीवित रहें, कटे हुए अंग व मरीज को अविलंब किसी विशिष्ट चिकित्सा केंद्र में स्थानांतरित कर देना चाहिए जिससे कि अंग का प्रत्यारोपण समय से पहले आरंभ हो जाए।

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