कर रहे ओपन हार्ट की सर्जरी, पर हुआ कुछ ऐसा रच दिया इतिहास

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लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियक वैस्कुलर थोरेसिक सर्जरी (सीवीटीएस) विभाग के कार्डियक सर्जरी विशेषज्ञ डा. अम्बरीश हार्ट व उनकी टीम ओपन हार्ट सर्जरी करके वाल्व बदलने की सर्जरी में महाधमनी को देख कर होश ही उड़ गये। सर्जरी में देखा कि वाल्व तो ठीक था, लेकिन एसेंडिंग एरोटिक डिसेक्शन नामक जटिल व दुर्लभ बीमारी से मरीज चपेट में है। आनन-फानन में सर्जरी की तकनीक बदल कर पांच घंटे तक लगातार सर्जरी की आैर महिला मरीज को नया जीवन दान दे दिया। इतना ही नहीं 15 लाख के ऑपरेशन को महज 80 हजार रूपये में किया है। सर्जन्स डाक्टर का दावा है कि प्रदेश में इससे पहले इस तरह की सर्जरी किसी ने नहीं की । प्रदेश में इस बीमारी की पहली सफल सर्जरी है।

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पत्रकार वार्ता कर रहे डा. अम्बरीश ने बताया कि सरोजनी नगर निवासी सुशीला देवी 35 को सांस फूलने, खांसी व सीने में दर्दकी समस्या होने पर बीते अप्रैल माह में परिजनों ने केजीएमयू के लॉरी विभाग में दिखाया था। वहां पर डाक्टरों के परामर्श पर 2 डी इको जांच करायी गयी। इसमें मरीज के वाल्ब में दिक्कत सामने आयी थी। वहां के डाक्टरों ने मरीज को लॉरी से सीवीटीएस विभाग रेफर कर दिया। सीवीटीएस विभाग के एसोसिएट प्रो.अम्बरीश कुमार के मुताबिक मरीज उनके विभाग मेें पहली बार 28 अप्रैल को दिखाने आयी थी। मरीज के लॉरी की जांच रिपोर्ट में वाल्ब की दिक्कत बतायी जा रही थी। उसी के आधार पर मरीज का इलाज शुरू हुआ और सात जून को एराटिक वाल्व बदलने के लिए निर्णय लिया गया। डा. अम्बरीश ने बताया कि सर्जरी के दौरान मरीज को हार्ट लंग मशीन से जोड़ कर रखा गया और उन्होंने बताया कि वाल्व को बदलने के लिए जैसे ही महाधमनी को काटा गया , तो पता चला कि वह तो सामान्य था, लेकिन मरीज को असेंडिंग एवारटिक डिसेक्शन बीमारी से दिखायी दी।

इस बीमारी में महाधमनी की आंतरिक तीन लेयरों मे से सबसे आंतरिक लेयर इंटीमा अलग हो दूसरी लेयर से अलग हो रही थी, जिसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन का प्रवाह मुख्य आर्टरी में न होकर एंटीमा और मीडिया के बीच से हो रहा था, जिसकी वजह से आगे चल कर मरीज के विभिन्न अंगो की रक्तवाहिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाता है। ब्लड जाने के कारण आर्टरी ब्लाक होने पर हार्ट अटैक, फालिस या अन्य आर्टरी से जुड़ी बीमारी हो सकती थी। सर्जरी के दौरान जटिल सर्जरी करने के लिए मरीज को सर्कुलेटरी अरेस्ट के साथ डीप हाइपोथर्मिया रखने का निर्णय लिया गया, इस दौरान मरीज के शरीर के तापमान को 18 डिग्री सेल्सियस तक ले जाया गया। इस अवस्था मे मरीज के सेल्स अपने अंदर मौजूद रक्त से ही जीवित रहते है। डा. अम्बरीश ने बताया कि एंटीमा लेयर को ठीक करके के लिए कृत्रिम वस्कुलर ग्राफ्ट का प्रयोग किया जाता है। इसकी कीमत लगभग डेढ लाख रुपये आती है, परन्तु ओपन हार्ट सर्जरी करने के बाद यह तत्काल मंगाना नामुमकिन था।

ऐसे में तत्काल दिल के छेद को रिपेयर करने के लिए डेकरॉन पैच का प्रयोग करने का निर्णय लिया गया। इसकी कीमत लगभग आठ से दस हजार रुपये तक आती है। इसी से नयी ट्यूब बनायी गयी। एंटीमा की आंतरिक लेयर को मरम्मत करने करने के बाद बाहरी क्षेत्र में भी ब्लडिंग न हो। इस लिए वहां भी पैच लगाया गया। इसके बाद इसको नीचे जोड़ दिया गया। डा.अम्बरीश की माने तो 2डी इको व एक्स-रे कराने तथा मरीज की हिस्ट्री लेने के बाद भी एवारटिक डिसेक्शन बीमारी का पता नहीं चला। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक लाख में 3 लोगों को होती है , जबकि इस बीमारी में प्रयोग होने वाले वैस्कुलर प्रोस्थेटिक ग्राफ्ट की किमत करीब 1.5 लाख रूपये होती है। उन्होंने बताया कि सर्जरी करने वाली टीम में डा. अम्बरीश कुमार,डा. शैलेन्द्र कुमार, डा. विकास, डा. अजयंद एवं निश्चेतना विभाग से डा. दिनेश कौशल, डा. अंजन, डा. भारतेष, डा. आरीफ, डॉ अंचल एवं परफ्यूजनिस्ट मनोज श्रीवास्तव के द्वारा किया गया।

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