लखनऊ। यदि हम जागरूक हो जाएं तो ग्रीवा कैंसर (गर्भाशय के मुख पर होने वाले कैंसर) से होने वाली मृत्यु दर को बहुत कम किया जा सकता है। भारत में ग्रीवा कैंसर से हर साल लगभग 70 हजार महिलाअों की मृत्यु हो जाती है और इतनी ही संख्या हर वर्ष नये मरीजों की है। इसी क्रम में राजधानी में रविवार को छ अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कनवेन्शन सेन्टर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। एक दिवसीय कार्यशाला में देशभर की स्त्री रोग विशेषज्ञ भाग लेंगी, जिसमें स्क्रीनिंग एण्ड ट्रीटमेन्ट आफ प्री कैंसर पर चर्चा होगी।
इण्डियन सोसायटी आफ कालपोस्कोपी एण्ड सर्वाइकल पैथोलाजी (आईएससीसीपी), एशिया अोशियानिया रिसर्च आर्गेनाइजेशन आन जेनिटल इनफेक्शन्स एण्ड नियोप्लाशिया, इण्डिया (एअोजिन इण्डिया) व केजीएमयू की आब्सटेट्रिक एण्ड गायनकोलाजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में देशभर के विभिन्न हिस्सों की स्त्री रोग विशेषज्ञ भाग लेंगी। इस सम्बंध में एअोजिन इण्डिया की एग्जीक्यूटिव मेम्बर व केजीँएमयू की आब्सटेट्रिक एण्ड गायनकोलाजी विभाग की प्रोफेसर एण्ड यूनिट हेड डा निशा सिंह ने बताया कि वैश्विक आंकडों के मुताबिक देशभर में ग्रीवा कैंसर से करीब 70 महिलाअों की मृत्यु हो जाती है। इसके साथ ही हर साल 70 हजार नये मरीज हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि चिकित्सक अौर महिलाअोंकी जागरूकता ग्रीवा कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को बहुत कम कर सकती है। उन्होंने बताया कि 25 से 65 साल की महिलाअों की नियमित स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। यदि कोई महिला किसी अन्य बीमारी के इलाज के लिए भी अस्पताल गयी है तो भी उसकी स्क्रिनिंग की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि नौ से 15 साल की छात्राअों को इसकी वैक्सीन की दो डोज देकर सुरक्षित किया जा सकता है लेकिन इसकी भी आगे चलकर स्क्रिीनिंग होनी चाहिए। यह वैक्सीन अभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। उत्तर प्रदेश में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ क्षेत्रों में काम हो चुका है।
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