लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर की आग में लगभग 29 लाख रुपये की दवाएं जल कर खाक हो गयी है, लगभग 15 दिन पहले जली यह वह जीवनरक्षक दवाएं थी जो कि मरीजों को नया जीवन दे सकती थी लेकिन यह लाखों रुपये की दवाएं उस वक्त जली है, जब टामा सेंटर में दवाओं व क्लीनिकल सामान की कमी बनी हुई है। ऐसे में लाखों रुपये की दवाएं जलने का जिम्मेदार अभी तक केजीएमयू में गठित कमेटी तय नहीं कर सकी है।
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में लगभग 15 दिन पहले आग को शार्ट सर्किट से लगना बताया जा रहा है। विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिपोर्ट में आग लगने के कारणों को शार्ट सर्किट बताया जाता है। केजीएमयू प्रशासन ने भी अपनी जांच कराने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बना दी गयी है। इस कमेटी को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौपनी थी। इसके बाद इसी कमेटी को जलने के सामान का आंकलन सहित अन्य कारणों को भी जोड़ दिया गया। इसके बाद कमेटी ने अभी तक जांच रिपोर्ट हीं सौपी है। बताया जाता है कि केजीएमयू की जांच कमेटी में कई जिम्मेदार अधिकारी दोषी पाये जा सकते है। जिन पर ट्रामा सेंटर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी।
29 लाख रुपये की दवाएं व क्लीनिकल सामान जल कर राख हो गया
बताया जाता है कि कमेटी के ज्यादातर सदस्य विभिन्न कार्यो में व्यस्त है। इस कारण अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं बन पायी है, जबकि सूत्रों की यकीन करे तो ट्रामा सेंटर में लगभग 29 लाख रुपये की दवाएं व क्लीनिकल सामान जल कर राख हो गया है। यह दवा व सामान उस वक्त जली है जब मरीजों को क्लीनिकल व दवा नहीं मिल पा रही है आैर बड़ी मुश्किल से बजट से दवा खरीदी गयी थी। इन गलतियों को जिम्मेदार लोगों कौन चिह्नित करेगा। बताया जाता है कि केजीएमयू शासन को भेजी गयी रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। उसी तर्ज कर अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर देगा।